दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने 12 सितम्बर को हुई सुनवाई के दौरान एक वकील के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई। वकील ने अदालत में यह दावा किया था कि न्यायमूर्ति बनर्जी उस मामले में उपस्थित एक अन्य वकील के रिश्तेदार हैं।
न्यायमूर्ति बनर्जी ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए वकील को “बेशर्म झूठी” करार दिया।
“ओपन कोर्ट में उसकी इतनी हिम्मत हो गई… वह मेरे कोर्ट मास्टर के पास गई और फिर कोर्ट मास्टर मेरे कमरे में आया (ये बताने के लिए)। मैंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है,” न्यायमूर्ति बनर्जी ने टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि इस तरह के झूठ को तुरंत रोकना जरूरी है।
“किसी भी बैठी हुई अदालत के न्यायाधीश के लिए यह बेहद असहज है कि ओपन कोर्ट में कोई कहे कि आप उसके रिश्तेदार हैं… अगर अभी इसे नहीं रोका गया तो न जाने कितने रिश्तेदार सामने आ जाएंगे,” उन्होंने कहा।
डिबार करने की चेतावनी
न्यायमूर्ति बनर्जी ने सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी दी कि वह आदेश पारित कर वकील को दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक देंगे।
“वह दिल्ली हाईकोर्ट में पेश होने से डिबार की जाएंगी, यह पक्का है। उनका लाइसेंस सरेंडर किया जाएगा। मैं इसमें कोई बदलाव नहीं करूंगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) के नेताओं की ओर मुखातिब होकर पूछा कि यदि उन पर ऐसे आरोप लगाए जाते तो उन्हें कैसा लगता।
बार एसोसिएशन की मौजूदगी
इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एन. हरिहरन भी न्यायालय में उपस्थित थे।
कुछ विचार-विमर्श के बाद न्यायमूर्ति बनर्जी ने तत्काल डिबार करने का आदेश पारित नहीं किया, लेकिन वकील को कड़ी चेतावनी दी।
“अगर यह दोबारा हुआ तो देखूंगा कि आप किस हालात में वकालत कर पाती हैं,” उन्होंने स्पष्ट किया।