दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत देते हुए जमानत मंजूर कर ली है। अदालत ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को फिलहाल निलंबित करते हुए कड़े प्रतिबंधों के साथ उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने साफ किया कि शर्तों का उल्लंघन होने पर जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरिश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित रखने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सेंगर पीड़िता के घर से पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएंगे और न ही पीड़िता या उसकी मां को किसी भी तरह से धमकाने या संपर्क करने का प्रयास करेंगे।
अदालत ने जमानत के लिए सेंगर को 15 लाख रुपये का निजी मुचलका और उतनी ही राशि के तीन जमानती पेश करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और हर सोमवार संबंधित पुलिस थाने में हाजिरी देनी होगी। पीठ ने स्पष्ट किया कि इन शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन जमानत रद्द करने का आधार बनेगा।
यह आदेश सेंगर की उस दलील पर आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह काफी समय से जेल में हैं और उनकी अपील पर फैसला अभी लंबित है। अदालत ने सजा निलंबन को केवल अपील के निस्तारण तक सीमित रखा है।
उन्नाव बलात्कार मामला वर्ष 2017 में सामने आया था, जब उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था। न्याय न मिलने का आरोप लगाते हुए पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था, जिससे यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
मामले ने उस समय और तूल पकड़ लिया जब पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई और बाद में पीड़िता एक संदिग्ध सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई। इन घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2019 को निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए बलात्कार मामले और उससे जुड़े अन्य मामलों को उत्तर प्रदेश से स्थानांतरित कर दिल्ली भेज दिया था।
दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने बाद में कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही, उन्हें पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत की साजिश रचने का भी दोषी ठहराया गया था। इस मामले में भी सेंगर की अपील फिलहाल अदालत के समक्ष लंबित है।

