दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने महिलाओं के लिए पूजा से ज़्यादा सम्मान की वकालत की

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने महिलाओं के सम्मान को पूजा से अधिक महत्वपूर्ण बताया।

न्यायमूर्ति उपाध्याय ने अपने संबोधन में संस्कृत श्लोक का संदर्भ देते हुए कहा, “जहाँ महिलाओं का सम्मान होता है, वहाँ देवता वास करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मेरे विचार में, महिलाओं को पूजा से अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए।” उनका यह संदेश प्रतीकात्मक श्रद्धा के बजाय महिलाओं के अधिकारों और गरिमा के प्रति व्यावहारिक सम्मान को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।

READ ALSO  मद्रास हाईकोर्ट ने आवासीय सड़कों पर अंतिम संस्कार जुलूस पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज की, ₹25,000 का जुर्माना लगाया

मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने समाज में मौजूद ऐतिहासिक पूर्वाग्रहों पर भी चर्चा की और कहा कि हम सभी “2000 वर्षों का बोझ” अपने साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने इस मानसिकता को त्यागने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे समाज में वास्तविक लैंगिक समानता सुनिश्चित की जा सके।

Play button

इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के.वी. विश्वनाथन ने भी महिलाओं की न्यायिक सेवाओं तक पहुंच में मौजूद असमानताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी सहायता सेवाओं की उपलब्धता शहरी क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है। साथ ही, कानूनी जागरूकता की कमी, सामाजिक कलंक, सांस्कृतिक मान्यताएँ और नौकरशाही बाधाएँ महिलाओं के लिए न्याय प्राप्ति को कठिन बना देती हैं।

न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पूर्व-गर्भाधान और प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक अधिनियम (PCPNDT Act) के क्रियान्वयन पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मुख्य न्यायाधीश ने इस कानून को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है, क्योंकि वर्तमान में इसके अंतर्गत बहुत कम मामलों में मुकदमे दर्ज होते हैं, जिससे इसका प्रभाव कमजोर हो रहा है।”

यह कार्यक्रम सिर्फ महिला दिवस का उत्सव नहीं था, बल्कि न्यायपालिका के नेताओं ने इसे महिलाओं के लिए वास्तविक परिवर्तन लाने के अवसर के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे समाज में लैंगिक न्याय को सशक्त बनाया जा सके।

READ ALSO  गुजरात हाईकोर्ट ने उस न्यायाधीश की बर्खास्तगी को कायम रखा जिसने न्यायिक प्रणाली में "सड़ांध" का समाधान होने तक काम पर लौटने से इनकार कर दिया था
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles