दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने उपराज्यपाल (LG) द्वारा जारी उस अधिसूचना की कड़ी आलोचना की है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को थानों में बने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्षों से अदालतों में वर्चुअल गवाही देने की अनुमति दी गई है।
एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने इस अधिसूचना को “निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों के विपरीत” बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है।
कार्यकारिणी समिति ने अपने प्रस्ताव में कहा, “दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का यह स्पष्ट मत है कि उक्त अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह न्याय के मूल सिद्धांतों और निष्पक्ष सुनवाई के खिलाफ है। इसके क्रियान्वयन से मुकदमे की प्रक्रिया प्रभावित होगी और ऐसे मुकदमों के परिणाम पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।”

उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त को जारी अधिसूचना में थानों में बने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्षों को “निर्धारित स्थल” घोषित किया गया है, जहां से पुलिस अधिकारी अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही दे सकेंगे।
बार एसोसिएशन के सदस्यों ने आशंका जताई है कि इस व्यवस्था से अदालती कार्यवाही की पवित्रता प्रभावित होगी, मुकदमे की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े होंगे और पुलिस गवाहियों पर अनावश्यक प्रभाव पड़ सकता है।
एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि अदालत में शारीरिक रूप से पेश होकर गवाही देना न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण अंग है।