दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) द्वारा स्टम्प शुले लुइस मशीन टूल्स प्राइवेट लिमिटेड की स्नाइपर राइफल और गोला-बारूद आपूर्ति से संबंधित तकनीकी बोली को खारिज करने के फैसले को सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि यह अयोग्यता न तो मनमानी थी और न ही अनुचित।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने 1 जुलाई को यह फैसला सुनाया और कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें तकनीकी पक्षपात और प्रतिस्पर्धी बोलीदाताओं को अनुचित लाभ दिए जाने का आरोप लगाया गया था।
यह विवाद 24 सितंबर 2024 को CRPF द्वारा जारी उस निविदा से जुड़ा है, जिसमें .338 लैपुआ मैग्नम कैलिबर की 200 स्नाइपर राइफलों और 20,000 राउंड गोला-बारूद की खरीद की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता कंपनी को दो चरणों के फील्ड ट्रायल के बाद अयोग्य घोषित किया गया — पहला परीक्षण जनवरी 2025 में पुणे में हुआ, जहां कोई भी बोलीदाता सभी मानकों को पूरा नहीं कर पाया। दूसरा ट्रायल फरवरी में गुरुग्राम स्थित CRPF अकादमी में हुआ, जिसमें दो अन्य कंपनियां पास हुईं, लेकिन याचिकाकर्ता 400 मीटर की सटीकता की अनिवार्यता को पूरा नहीं कर सका।

कंपनी ने तर्क दिया कि मृगतृष्णा (मिराज) और मौसम जैसे पर्यावरणीय कारणों से उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा और यह भी दावा किया कि प्रतिद्वंद्वी कंपनियों ने गैर-अनुपालन योग्य गोला-बारूद का उपयोग किया, जिससे उन्हें अनुचित लाभ मिला। लेकिन पीठ ने कहा कि सभी प्रतिभागियों ने पूर्व-निर्धारित परीक्षण प्रक्रिया पर सहमति दी थी और याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए आपत्तियां परीक्षण में असफल होने के बाद ही सामने आईं, जो “बाद की सूझ” के रूप में प्रतीत होती हैं।
पीठ ने कहा, “CRPF के महानिदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता को 27 मार्च 2025 को जारी अस्वीकृति पत्र के माध्यम से अयोग्य घोषित करना न तो मनमाना था, न ही तर्कहीन या अनुचित।”
न्यायालय ने तीसरे परीक्षण की मांग को भी खारिज करते हुए कहा कि इससे पूरी खरीद प्रक्रिया की निष्पक्षता पर असर पड़ेगा। पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को एक दुर्लभ दूसरा मौका पहले ही दिया जा चुका था और वह तब भी संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर सका।
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता रोहन जेटली उपस्थित हुए, जबकि CRPF की ओर से अधिवक्ता वरुण प्रताप सिंह, देव प्रताप शानी और योग्य भाटिया ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ता की ओर से अलग वकील उपस्थित हुए।