दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर की उस अपील को, जिसमें उन्होंने पत्रकार प्रिया रमानी को आपराधिक मानहानि मामले में बरी किए जाने को चुनौती दी है, अपनी विशेष एमपी/एमएलए पीठ को स्थानांतरित कर दिया।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि चूंकि मामला एक पूर्व सांसद से जुड़ा है, इसलिए इसे उन मामलों के लिए गठित पीठ के समक्ष ही सुना जाना चाहिए। अब यह मामला 15 अक्टूबर को न्यायमूर्ति रविंद्र दुडेजा की पीठ के समक्ष सुना जाएगा।
अकबर ने अक्टूबर 2018 में रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी, जब रमानी ने “#मीटू” आंदोलन के दौरान उन पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद अकबर ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

17 फरवरी 2021 को ट्रायल कोर्ट ने रमानी को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि महिलाओं को दशकों बाद भी किसी भी मंच पर अपने यौन शोषण से जुड़े अनुभव साझा करने का अधिकार है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि ऐसे अपराधों का होना उस देश में शर्मनाक है जहां महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथ महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं।
अपील में अकबर ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने “अनुमान और अटकलों” के आधार पर फैसला दिया और इसे मानहानि के बजाय यौन शोषण का मामला मान लिया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अदालत ने उनके “उत्कृष्ट चरित्र” पर संदेह व्यक्त करके आपराधिक न्यायशास्त्र के सिद्धांतों की अनदेखी की।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जनवरी 2022 में उनकी अपील स्वीकार कर रमानी को नोटिस जारी किया था। अकबर की ओर से करंजावाला एंड कंपनी अधिवक्ता फर्म पैरवी कर रही है।
अब मामले को एमपी/एमएलए पीठ को सौंप दिया गया है और 15 अक्टूबर को न्यायमूर्ति दुडेजा इसकी सुनवाई करेंगे।