दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कर्मचारी चयन आयोग (SSC) को निर्देश दिया कि वह अपनी ऑनलाइन आवेदन पोर्टल को नेत्रहीन अभ्यर्थियों के लिए अधिक सुगम और अनुकूल बनाए, जिससे वे विभिन्न परीक्षाओं के लिए आसानी से आवेदन कर सकें।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह निर्देश नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड के संतोष कुमार रुंगटा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में नेत्रहीन अभ्यर्थियों के लिए वैकल्पिक माध्यम से फोटोग्राफ अपलोड करने की सुविधा की मांग की गई थी, विशेष रूप से आगामी कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL), कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल (CHSL) 2025 और मल्टी टास्किंग स्टाफ व हवलदार (MTS & Havaldar) परीक्षा 2025 के संदर्भ में।
याचिका में कहा गया कि वर्तमान में लागू लाइव फोटोग्राफ और फेस रिकग्निशन प्रक्रिया कई नेत्रहीन अभ्यर्थियों के लिए तकनीकी रूप से असंभव है और इससे उन्हें भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित कर दिया जाता है, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता ने SSC को 60 नेत्रहीन अभ्यर्थियों की शिकायतों से संबंधित ईमेल भेजे हैं। इस पर कोर्ट ने SSC को निर्देश दिया कि वह इन शिकायतों की जांच शीघ्रता से करे और याचिकाकर्ता के साथ बैठक कर मामले का समाधान निकाले।
कोर्ट ने कहा, “हम SSC से अनुरोध करते हैं कि वे इन 60 ईमेल्स में उल्लिखित शिकायतों की जांच करें। जहां तक याचिका में उठाए गए मुद्दे की बात है, उसे हम भविष्य की परीक्षाओं के संदर्भ में विचार करेंगे। SSC को अपनी नीति पर पुनर्विचार कर उसे विशेष रूप से दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए अधिक यूज़र फ्रेंडली बनाना चाहिए।”
पीठ ने SSC को आगाह किया कि वह भविष्य की परीक्षाओं में इन मुद्दों को ध्यान में रखे और आगामी सुनवाई में अपनी योजना पेश करे।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी, जिसमें कोर्ट SSC से अपेक्षा कर रहा है कि वह नेत्रहीन अभ्यर्थियों के लिए पोर्टल को समावेशी बनाने की ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत करे।