दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स (SVA) के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और वहां रह रहे 100 से अधिक परिवारों को 12 अक्टूबर तक फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को आदेश दिया कि पुनर्निर्मित फ्लैट मिलने तक निवासियों को किराया दिया जाए और इसमें हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाए। अदालत ने डीडीए को दो दिनों के भीतर अपार्टमेंट परिसर में कैंप कार्यालय स्थापित करने का निर्देश दिया, ताकि निवासियों को दस्तावेज़ीकरण और अन्य औपचारिकताओं में सहायता मिल सके।
पीठ ने निवासियों को अपने सामान, जिनमें बाथरूम फिटिंग्स और इलेक्ट्रिकल उपकरण शामिल हैं, निकालने की अनुमति दी और कहा कि ध्वस्तीकरण कार्य न्यूनतम असुविधा के साथ किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 12 अक्टूबर के बाद रहने वाले निवासी अपने जोखिम पर रहेंगे, जैसा कि उसने अपने पूर्व 7 अगस्त के आदेश में भी कहा था।
अदालत ने डीडीए के कर्मचारियों को निर्देश दिया कि वे फ्लैट खाली कराने में मदद करें और छोटी-छोटी तकनीकी बातों पर जोर न दें। विस्तृत आदेश की प्रति अभी प्रतीक्षित है।
यह आदेश डीडीए की उस अपील पर आया जिसमें उसने एकल न्यायाधीश के दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में अपार्टमेंट्स को असुरक्षित मानते हुए ध्वस्तीकरण और पुनर्निर्माण की अनुमति दी गई थी, लेकिन 168 अतिरिक्त फ्लैट बनाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था।
निवासियों ने अदालत में कहा था कि वे फ्लैट खाली करने को तैयार हैं, लेकिन डीडीए को ध्वस्तीकरण और पुनर्निर्माण के टेंडर जारी करने से रोका जाए। वहीं, डीडीए के वकील संजय जैन ने दिसंबर के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए निवासियों को तुरंत फ्लैट खाली करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
उसी खंडपीठ ने एक निवासी की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें न्यायमूर्ति मिन्नी पुष्कर्णा के 6 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई थी। उस आदेश में दिसंबर के निर्णय की समीक्षा याचिका को अस्वीकार किया गया था।
2007 से 2010 के बीच बने इन 336 फ्लैट्स को लेकर कुछ ही वर्षों में संरचनात्मक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 2023 में इन्हें असुरक्षित घोषित करते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था।

                                    
 
        


