दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले से अपील की कि वे अपने चल रहे मानहानि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने पर विचार करें। अदालत ने कहा कि अदालतों पर पहले से ही भारी बोझ है।
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने यह सुझाव तब दिया जब उन्होंने देखा कि गोखले पहले ही माफी मांग चुके हैं और पुरी ने उसे स्वीकार कर लिया है।
पीठ ने टिप्पणी की, “आप दोनों सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए सम्मानित व्यक्ति हैं। अगर दोनों पक्ष मिलकर मामले को सुलझा सकें तो यह बेहतर होगा। कृपया ध्यान दें कि अदालतों पर पहले से ही भारी बोझ है।”

अदालत गोखले की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने 1 जुलाई 2024 के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी है। उस आदेश में गोखले को निर्देश दिया गया था कि वे पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या किसी भी ऑनलाइन मंच पर कोई और टिप्पणी न करें, माफी मांगें और ₹50 लाख का हर्जाना अदा करें।
गुरुवार को पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि हर्जाने की राशि के संदर्भ में गोखले की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। अदालत ने कहा, “कुर्की जारी रहेगी।”
पुरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और गोखले की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने अदालत को बताया कि वे अपने-अपने मुवक्किलों से बात करेंगे और अदालत द्वारा दिए गए आपसी समाधान के प्रस्ताव पर विचार करेंगे।