दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर की फ़रलो (अस्थायी रिहाई) याचिका पर दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।
जस्टिस रवीन्दर दुढेजा ने खोखर की उस अर्जी को भी स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने मामले की सुनवाई की तारीख 4 फ़रवरी 2026 से आगे बढ़ाकर नज़दीकी तारीख पर करने का अनुरोध किया था। हाईकोर्ट ने अब इस मामले को 5 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है और सरकार व जेल प्रशासन को अगली तारीख से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा, “इस बीच राज्य अपना जवाब रिकॉर्ड पर रखे।”
खोखर ने जेल प्रशासन के 4 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसकी फ़रलो अर्जी यह कहते हुए नामंज़ूर कर दी गई थी कि उसकी रिहाई से सार्वजनिक शांति और व्यवस्था को ख़तरा हो सकता है।
उन्होंने अदालत से 21 दिनों की पहली फ़रलो देने का निर्देश मांगा है, ताकि वे अपने परिवार और समाज के साथ “सामाजिक संबंध पुनर्स्थापित” कर सकें।
फ़रलो जेल से अस्थायी रिहाई होती है, यह सज़ा का निलंबन या माफी नहीं होती। इसे आमतौर पर लंबे समय से सज़ा काट रहे कैदियों को उनके अच्छे आचरण के आधार पर दिया जाता है।
खोखर को चार अन्य आरोपियों के साथ 2013 में एक ट्रायल कोर्ट ने हत्या और दंगा के अपराधों में दोषी ठहराया था। यह मामला 1 नवंबर 1984 का है, जब ग़ाज़ियाबाद के राज नगर क्षेत्र में पांच सिख व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे को आग के हवाले कर दिया गया था। यह घटना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के अगले दिन घटित हुई थी।
इस मामले में आरोपी रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने खोखर की सज़ा को बरकरार रखते हुए कुमार की बरी होने की राहत रद्द कर दी।
खोखर की हाईकोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
अब हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को करेगा।




