दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकी फंडिंग मामले में अभियुक्त बारामूला सांसद इंजीनियर राशिद की याचिका पर NIA से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बारामूला से सांसद अब्दुल राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशिद की उस याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने आतंकी फंडिंग मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने एनआईए को नोटिस जारी करते हुए उससे विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने निचली अदालत का रिकार्ड भी तलब किया है और अगली सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर तय की है।

राशिद की नियमित जमानत याचिका भी हाईकोर्ट में लंबित है। इससे पहले, हाईकोर्ट ने उनकी अपील में लगभग 1,100 दिनों की देरी के मुद्दे पर ही एनआईए को नोटिस जारी किया था।

Video thumbnail

गुरुवार को सुनवाई के दौरान इंजीनियर राशिद ने एक अन्य आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें उन्हें संसद सत्र (24 जुलाई से 4 अगस्त) के दौरान हिरासत में रहते हुए उपस्थिति के लिए प्रतिदिन ₹1.44 लाख यात्रा व्यय वहन करने को कहा गया था। इस आदेश के खिलाफ उन्होंने अंतरिम जमानत की मांग भी की।

READ ALSO  Know Everything About Saurabh Kirpal, a Gay Lawyer Who Has Been Recommended by Collegium For Elevation to Delhi HC

कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह दोनों याचिकाएं उसी पीठ के समक्ष सुनी जाएं जिसने बजट सत्र के दौरान उनकी पहले की याचिका पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन याचिकाओं को न्यायमूर्ति अनुप जयराम भंभानी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, यदि डिवीजन बेंच ऐसा आदेश दे।

बजट सत्र के दौरान, न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह और न्यायमूर्ति भंभानी की पीठ ने राशिद को संसद में उपस्थिति के लिए ₹4 लाख जेल प्रशासन के पास जमा कराने का आदेश दिया था।

राशिद ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि वह पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से हिरासत में हैं, और मुकदमे की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि निकट भविष्य में इसका निपटारा संभव नहीं है। उन्होंने खुद पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह कभी भी अलगाववादी या आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे।

READ ALSO  नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला: दिल्ली की अदालत ने तेजस्वी यादव को जापान जाने की इजाज़त दी

याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर के एक मुख्यधारा के राजनीतिक नेता हैं, जो दो बार विधायक रह चुके हैं और हाल ही में सांसद चुने गए हैं। उनकी लोकतांत्रिक राजनीति में सक्रियता के कारण उन्हें अलगाववादी संगठनों ने निशाना बनाया।”

उन्होंने अफजल गुरु की फांसी पर की गई राजनीतिक टिप्पणी का भी बचाव किया और कहा कि, “सरकार की नीतियों या न्यायालय के फैसले की आलोचना मात्र को आतंकवाद से जुड़ा होना नहीं माना जा सकता।”

2024 लोकसभा चुनाव में ओमर अब्दुल्ला को हराकर सांसद बने राशिद ने यह भी कहा कि संसद सत्र में उनकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वह कश्मीर घाटी की लगभग 45 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और “संसद तथा अपने क्षेत्र के लोगों के बीच सेतु की भूमिका निभाते हैं।”

READ ALSO  इलाज में लापरवाही पर 25 लाख रूपये का जुर्माना

एनआईए की एफआईआर के अनुसार, राशिद का नाम एक अन्य आरोपी व्यवसायी जाहूर वटाली से पूछताछ के दौरान सामने आया था। उन्हें अक्टूबर 2019 में आरोपित किया गया था और मार्च 2022 में एनआईए की विशेष अदालत ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 120बी (षड्यंत्र), 121 (सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना), 124ए (देशद्रोह) तथा यूएपीए के तहत आतंकी गतिविधियों व फंडिंग के आरोप तय किए थे।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles