दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले द्वारा दायर ताजा हलफनामे की समीक्षा के लिए समय दिया, जिसमें गोखले ने उनके खिलाफ की गई कथित मानहानिकारक टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश अनिल क्षेतरपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब पुरी के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि उन्हें यह हलफनामा पहले से प्राप्त नहीं हुआ था और सुनवाई से ठीक पहले इसकी प्रति सौंपी गई।
गोखले की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने पीठ को बताया कि अदालत के पिछले निर्देशों के अनुपालन में नया हलफनामा दाखिल किया गया है।

गौरतलब है कि अदालत ने 8 जुलाई को गोखले के प्रारंभिक लिखित माफीनामे को स्वीकार करने से इनकार करते हुए उन्हें निर्देश दिया था कि वे 1 जुलाई 2024 को एकल पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप नया हलफनामा दायर करें।
एकल पीठ ने न केवल गोखले को पुरी के खिलाफ किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर आगे कोई मानहानिकारक बयान देने से रोका था, बल्कि उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और ₹50 लाख का हर्जाना देने का आदेश भी दिया था।
मंगलवार को खंडपीठ ने गोखले के ताजा हलफनामे और पहले दिए गए निर्देशों में असंगतियां पाईं। अदालत ने टिप्पणी की कि यह हलफनामा वर्तमान रूप में रिकॉर्ड पर नहीं लिया जा सकता और गोखले के वकील को इसे वापस लेकर संशोधित हलफनामा दाखिल करने की सलाह दी।
गोखले 1 जुलाई के फैसले के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं और इससे पहले 2 मई को हाईकोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा उनके फैसले को वापस लेने का अनुरोध खारिज किया जा चुका है।
अब मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।