सैनिक फार्म क्षेत्र में ‘अनधिकृत’ निर्माण पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका

दक्षिणी दिल्ली के सैनिक फार्म में अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाते हुए बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) आई।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि संपत्ति मालिकों को सुने बिना अदालत कैसे आदेश पारित कर सकती है।

पीठ ने याचिकाकर्ता को संपत्तियों के मालिकों को पक्षकार बनाने के लिए समय दिया, जो उनके अनुसार अनधिकृत और अवैध रूप से निर्मित किए गए हैं।

Video thumbnail

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कई अदालती आदेशों के बावजूद सैनिक फार्म में अनधिकृत निर्माण चल रहा है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “आप चाहते हैं कि हम पक्षों को सुने बिना संपत्तियों को गिराने का आदेश पारित करें? आपको उन व्यक्तियों को पक्षकार बनाना चाहिए जिनकी संपत्तियों का उल्लेख याचिका में किया गया है।”

READ ALSO  क्या हिरासत में लिये गये व्यक्ति को विदेशी भाषा में अपठनीय दस्तावेज देने के आधार पर नजरबंदी आदेश को रद्द किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये निर्णय

जैसा कि वकील ने कहा कि उनके पास संपत्ति के मालिकों के बारे में जानकारी नहीं है और उनके लिए व्यक्तियों की पहचान करना मुश्किल होगा, अदालत ने कहा, “किसी की पीठ पीछे आदेश पारित करना हमारे लिए बहुत मुश्किल होगा। आपने जनहित याचिका दायर की है, कुछ होमवर्क करो।”

इसके बाद वकील ने उन सभी व्यक्तियों को पक्षकार बनाने के लिए कुछ समय मांगा, जिनकी संपत्तियों का उल्लेख याचिका में किया गया है और अदालत ने इसे 24 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

READ ALSO  चूंकि भूमि अधिग्रहण 01.01.2014 से पहले अंतिम रूप नहीं ले सका, इसलिए अधिग्रहण प्राधिकारी 2013 अधिनियम की धारा 24(1) के अनुसार मुआवजा देने के लिए बाध्य है: सुप्रीम कोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Related Articles

Latest Articles