दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को निशाना बनाकर सोशल मीडिया पर डाली गई आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि उक्त सामग्री मानहानिकारक है।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने यह अंतरिम आदेश राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कॉन्फ्रेंस) के वरिष्ठ नेता सुरिंदर चौधरी द्वारा दायर मानहानि वाद पर सुनवाई करते हुए पारित किया। चौधरी ने अदालत से स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की है, यह आरोप लगाते हुए कि फेसबुक और यूट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर उनके खिलाफ यौन संकेतों से युक्त अपमानजनक सामग्री प्रसारित की गई है।
सुनवाई के दौरान चौधरी की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वायरल वीडियो में एक महिला के साथ उनके मुवक्किल के चेहरे को जोड़कर दिखाया गया है, जिससे उनकी सार्वजनिक छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है। अदालत ने इस दलील से सहमति जताते हुए कहा कि वादी के पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसी आधार पर आपत्तिजनक सामग्री हटाने के निर्देश दिए गए।
अदालत ने वाद में किए गए इस उल्लेख पर भी ध्यान दिया कि सुरिंदर चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन में एक साफ-सुथरी छवि बनाए रखी है और अपने प्रयासों से यह पद हासिल किया है। चौधरी वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की नौशेरा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इससे पहले हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि कथित आपत्तिजनक सामग्री के ट्रांसक्रिप्ट दाखिल न किए जाने के कारण यह तय करना कठिन है कि वह वास्तव में मानहानिकारक है या नहीं। इसके बाद अदालत ने चौधरी को निर्देश दिया था कि वह विवादित सामग्री और उसके ट्रांसक्रिप्ट रिकॉर्ड पर पेश करें।
वादी के अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि यौन संकेतों वाली यह सामग्री सोशल मीडिया पर करीब दो साल पहले अपलोड की गई थी और संबंधित अधिकांश यूआरएल मीडिया रिपोर्ट्स से जुड़े हुए हैं।
मामले में आगे की सुनवाई के लिए अदालत ने अप्रैल माह की तारीख तय की है।

