दिल्ली हाईकोर्ट ने मानसून सीज़न के दौरान भारी जलभराव की समस्या से बचने के लिए बारापुला ड्रेन से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। अदालत ने मद्रासी कैंप का ध्वस्तीकरण 1 जून से शुरू करने और वहां रहने वालों का पुनर्वास नरेला में सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने पारित किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि बारापुला ड्रेन की सफाई दिल्ली की जल निकासी व्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है। पीठ ने कहा, “ध्वस्तीकरण सुनियोजित तरीके से किया जाना चाहिए। बारापुला ड्रेन की सफाई के लिए मद्रासी कैंप के निवासियों का पुनर्वास भी आवश्यक है। कोई भी निवासी सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के कारण पुनर्वास के अधिकार के अलावा किसी अन्य अधिकार का दावा नहीं कर सकता।”
अदालत ने पुनर्वास योजना के तहत दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA), नगर निगम दिल्ली (MCD), दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB), लोक निर्माण विभाग (PWD) और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे 19 और 20 मई को दो शिविर आयोजित करें। पहले शिविर में नरेला में आवंटित फ्लैटों के कब्जा पत्र वितरित किए जाएंगे, जबकि दूसरे शिविर में बैंक अधिकारियों की सहायता से ऋण प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी।

DDA और DUSIB को निर्देश दिया गया है कि 20 मई तक नरेला के फ्लैटों में सभी आवश्यक सुविधाएं, फिटिंग और फिक्स्चर सुनिश्चित करें। इसके बाद निवासियों को 20 मई से 31 मई के बीच अपना सामान स्थानांतरित करने का समय मिलेगा। 1 जून से मद्रासी कैंप का ध्वस्तीकरण शुरू किया जाएगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि जो निवासी कब्जा पत्र या ऋण सुविधा लेने से इनकार करेंगे, वे भविष्य में नरेला या किसी अन्य पुनर्वास परियोजना में आवास आवंटन के किसी भी अवसर से वंचित रहेंगे।
यह निर्णय अदालत के समक्ष लंबित उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया, जिनमें मद्रासी कैंप के कई निवासियों ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह मामला पिछले दस महीनों से विचाराधीन था और अवैध अतिक्रमण ने बारापुला ड्रेन को गंभीर रूप से अवरुद्ध कर दिया था, जिससे विशेष रूप से मानसून के दौरान जलभराव और नदी प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हुईं।
इस आदेश के साथ अदालत ने इस मामले से संबंधित सभी लंबित आवेदनों का निस्तारण कर दिया।