नीट-यूजी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) को निर्देश दिया है कि वह उन उम्मीदवारों की शिकायतों के निवारण हेतु एक स्थायी शिकायत निवारण समिति (Grievance Redressal Committee) गठित करे, जिन्हें तकनीकी खामियों या प्रक्रियागत त्रुटियों के कारण परीक्षा के दौरान समय की क्षति हुई हो, जबकि उनकी कोई गलती न रही हो।
न्यायमूर्ति विकास माहाजन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि संविधानिक न्यायालयों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे प्रत्येक ऐसे मामले में सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करें। इसके स्थान पर, उन्होंने विशेषज्ञों की एक पारदर्शी और निष्पक्ष समिति के माध्यम से इन शिकायतों की जांच और आवश्यकतानुसार राहत दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से विशेषज्ञों की समिति द्वारा जांच होनी चाहिए।” न्यायमूर्ति माहाजन ने यह भी जोड़ा कि समिति इस प्रकार की शिकायतों के समाधान हेतु एक अधिक उपयुक्त फॉर्मूला भी विकसित कर सकती है जो केवल न्यायिक हस्तक्षेप तक सीमित न हो।

यह निर्देश 28 जुलाई को उस याचिका का निस्तारण करते हुए दिया गया जो एक नीट-यूजी 2025 के अभ्यर्थी ने दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मेरठ, उत्तर प्रदेश स्थित त्रिशला देवी कन्हैयालाल बालिका इंटर कॉलेज में उनके परीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक सत्यापन में देरी के कारण उन्हें परीक्षा प्रारंभ होने से ठीक पांच मिनट पहले ही अंदर जाने दिया गया। परीक्षा के दौरान ही उन्हें दोबारा सत्यापन के लिए बाहर बुलाया गया और अंग्रेजी-हिंदी में आवेदन भी लिखवाया गया, जिससे उनकी एकाग्रता भंग हुई।
याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने NEET-UG 2025 में 98.86 पर्सेंटाइल हासिल किया, लेकिन प्रारंभिक समय की बाधा के कारण मानसिक तनाव झेलना पड़ा और उन्होंने समय की क्षति की क्षतिपूर्ति और सीसीटीवी फुटेज के संरक्षण की मांग की।
कोर्ट ने माना कि उम्मीदवार की कोई गलती नहीं थी, फिर भी उन्हें करीब 3 मिनट 32 सेकंड का नुकसान हुआ। इसे देखते हुए कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में निर्धारित नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले के अनुसार याचिकाकर्ता को अनुकंपा अंक (grace marks) देने और संशोधित परिणाम पांच दिन के भीतर जारी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, उन्हें काउंसलिंग की वर्तमान प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी गई है, बिना कि उनके पहले से आवंटित सीट पर कोई प्रभाव पड़े।
कोर्ट ने कहा, “जब सभी उम्मीदवारों को समान परीक्षा समय दिया जाता है, तो किसी छात्र से उसका कुछ समय ले लेना और फिर उसके उपयोग न कर पाने की बात कहकर न्यायोचित ठहराना उचित नहीं हो सकता।”