दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता आसिफ इकबाल तन्हा के खिलाफ आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब किया है।
यह मामला नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है।
साकेत कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने 7 मार्च को तन्हा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109 (उकसावा), 120बी (आपराधिक साजिश), 143, 147, 148, 149 (अवैध जमावड़ा और दंगा), 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341 (लोक सेवकों पर हमला, गंभीर चोट, संपत्ति को नुकसान आदि) तथा सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम की धाराओं 3 और 4 के तहत आरोप तय किए थे।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि प्राथमिकी में तन्हा को हिंसा स्थल पर मौजूद और भीड़ का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के रूप में नामित किया गया है, जिसकी पुष्टि उसके मोबाइल की लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) से हुई है।
इसी मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र शरजील इमाम के खिलाफ भी आरोप तय किए गए थे। अदालत ने उन्हें न केवल भड़काने वाला, बल्कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने की “बड़ी साजिश” का “मुख्य साजिशकर्ता” बताया।
सोमवार को जस्टिस संजीव नरूला ने तन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और अगली सुनवाई की तारीख 30 अक्टूबर तय की। इसी दिन शरजील इमाम की इसी आदेश के खिलाफ याचिका पर भी सुनवाई होगी।
तन्हा की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सतीजा ने दलील दी कि निचली अदालत का आदेश बिना पर्याप्त विचार और साक्ष्यों के सही मूल्यांकन के पारित किया गया है।
गौरतलब है कि तन्हा दिल्ली दंगों की कथित साजिश से जुड़े एक अन्य मामले में भी आरोपी हैं। इस मामले में 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई में देरी को आधार बनाकर तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को जमानत दी थी।