दिल्ली हाईकोर्ट 12 अगस्त को करेगी कार्ति चिदंबरम की CBI FIR रद्द करने की याचिका पर सुनवाई

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट 12 अगस्त को सुनवाई करेगी जिसमें उन्होंने ड्यूटी-फ्री व्हिस्की की बिक्री पर लगे प्रतिबंध से डियाजियो स्कॉटलैंड को कथित राहत देने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज CBI की FIR को रद्द करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा को सोमवार को इस मामले की सुनवाई करनी थी, लेकिन लोक अभियोजक के अनुरोध पर इसे टाल दिया गया। अभियोजन पक्ष ने बताया कि संबंधित मामले 12 अगस्त को सूचीबद्ध हैं, इसलिए इस याचिका पर भी उसी दिन सुनवाई होनी चाहिए।

कार्ति चिदंबरम ने दलील दी है कि 1 जनवरी को दर्ज की गई FIR “अवैध” है, इसमें “अत्यधिक देरी” हुई है और यह “राजनीतिक प्रतिशोध एवं सत्ता का दुरुपयोग” है।

यह मामला कांग्रेस सांसद के खिलाफ दर्ज चौथा CBI मामला है और इसकी जड़ें वर्ष 2018 में दर्ज की गई एक प्राथमिक जांच से जुड़ी हैं, जिसमें उनके पिता पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए FIPB मंजूरी में कथित अनियमितताओं की जांच की गई थी।

READ ALSO  डीएचएफएल प्रमोटर धीरज वधावन की जमानत के खिलाफ सीबीआई की अपील की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट

FIR में कार्ति चिदंबरम, Katra Holdings, Advantage Strategic Consulting Pvt. Ltd (ASCPL) और अन्य के नाम शामिल हैं। CBI का आरोप है कि डियाजियो स्कॉटलैंड और Sequoia Capitals ने ASCPL को संदिग्ध भुगतान किया, जो कथित रूप से कार्ति और उनके करीबी सहयोगी एस. भास्कररमन द्वारा नियंत्रित थी।

मामला अप्रैल 2005 में ITDC द्वारा डियाजियो ग्रुप के ड्यूटी-फ्री उत्पादों की बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध से जुड़ा है। ITDC को भारत में ड्यूटी-फ्री शराब की बिक्री पर एकाधिकार प्राप्त था और प्रतिबंध के चलते डियाजियो को भारी आर्थिक नुकसान हुआ, क्योंकि भारत में उसके व्यवसाय का लगभग 70% हिस्सा Johnnie Walker व्हिस्की की बिक्री पर निर्भर था।

READ ALSO  धारा 498ए के तहत पति के रिश्तेदारों के खिलाफ आरोपों को बिना विशेष मूल्यांकन के खारिज नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

कार्ति की याचिका में कहा गया है कि अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ बिना पूर्व स्वीकृति के FIR दर्ज करना कानूनन गलत है और इससे संबंधित कोई भी जांच अवैध मानी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में prima facie (प्रथम दृष्टया) कोई अपराध बनता ही नहीं है।

इससे पहले 10 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया था कि वह इस मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले कम से कम तीन दिन का लिखित नोटिस दे।

READ ALSO  केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति ऋण नहीं चुका सका, विदेश यात्रा की स्वतंत्रता में कटौती नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles