दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम मोड़ पर न्यायमूर्ति नवीन चावला ने विकीपीडिया के उस अपील की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें एकल-न्यायाधीश द्वारा समाचार एजेंसी ANI के खिलाफ कथित मानहानिपूर्ण सामग्री को हटाने का निर्देश दिया गया था। अब यह मामला मुख्य न्यायाधीश के निर्देशानुसार किसी अन्य पीठ को सौंपा गया है।
यह विवाद पिछले वर्ष तब शुरू हुआ था जब न्यायमूर्ति चावला ने ANI द्वारा दायर मानहानि याचिका पर विकीपीडिया को समन जारी किया था। ANI का आरोप था कि विकीपीडिया ने उसे सरकार का प्रचार माध्यम बताकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। न्यायमूर्ति चावला ने बाद में विकीपीडिया द्वारा उनके आदेश के पालन को लेकर असंतोष व्यक्त किया, जिसमें विकीपीडिया को ANI पेज में बदलाव करने वाले उपयोगकर्ताओं की जानकारी देने का निर्देश दिया गया था।
मामला तब और गंभीर हो गया जब न्यायमूर्ति चावला ने चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो विकीपीडिया के भारत में व्यापारिक लेनदेन को बंद करने का आदेश दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विकीपीडिया का विदेशी मंच होना कोर्ट की कार्यवाही में देरी का बहाना नहीं बन सकता।

हाल ही में न्यायिक रोस्टर में बदलाव के चलते यह मामला न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद को स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने 2 अप्रैल को विकीपीडिया को ANI पेज से “सुरक्षा स्थिति” हटाने का निर्देश दिया, जिससे अब सामान्य उपयोगकर्ता भी उसमें संशोधन कर सकें, न कि केवल एडमिनिस्ट्रेटर। इसके साथ ही अदालत ने ANI के खिलाफ मानहानिपूर्ण सामग्री प्रकाशित करने से रोक लगाने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया।
इसके बाद विकीपीडिया ने न्यायमूर्ति प्रसाद के आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसमें यह तर्क दिया गया कि वह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत एक मध्यस्थ (intermediary) है और उस पर मानहानि रोकने की कोई फिड्यूशरी जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन न्यायमूर्ति प्रसाद ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “विकीपीडिया यह कहकर ANI लेख की सामग्री से पूरी तरह अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता कि वह केवल एक मध्यस्थ है और अपने मंच पर प्रकाशित सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता।”
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि विकीपीडिया स्वयं को एक विश्वकोश के रूप में प्रस्तुत करता है, इसलिए जनता उसमें प्रस्तुत जानकारी को तथ्यात्मक और विश्वसनीय मानती है, जिससे मंच की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।