दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आप नेता सत्येंद्र जैन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब न्यायालय ने सत्येंद्र जैन को 10 दिन पहले जमानत दे दी थी, जिसमें मुकदमे की लंबी अवधि और हिरासत में उनके अधिक समय तक रहने को लेकर चिंता जताई गई थी।
जैन के व्यावसायिक सहयोगी के रूप में पहचाने जाने वाले इन दोनों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर दिल्ली के पूर्व मंत्री को उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से धन शोधन में सहायता करने के आरोप में फंसाया था। उनके कानूनी प्रतिनिधित्व ने हाई-प्रोफाइल मामले में जमानत पर उनकी रिहाई के लिए सफलतापूर्वक तर्क दिया।
वैभव जैन और अंकुश जैन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और रेबेका जॉन ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल सत्येंद्र जैन को दी गई जमानत के समान ही जमानत के हकदार हैं। हाईकोर्ट ने पहले 30 सितंबर को उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र की अपूर्णता का हवाला देते हुए डिफ़ॉल्ट जमानत के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
धन शोधन के आरोप भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2017 में सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से उत्पन्न हुए हैं। बाद में इस मामले को ईडी ने आगे बढ़ाया, जिसके कारण 30 मई, 2022 को सत्येंद्र जैन और 30 जून, 2022 को उनके सहयोगियों सहित कई गिरफ्तारियाँ हुईं।