दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें विश्वविद्यालय की हालिया अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इस अधिसूचना के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को पूर्व-शर्त के रूप में 1 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने मामले की सुनवाई करते हुए डीयू के वकील को निर्देश लेने और जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त के लिए निर्धारित की है।
डीयू की अधिसूचना के अनुसार, चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को 1 लाख रुपये का बांड भरना होगा। इसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार या उनके समर्थकों द्वारा संभावित संपत्ति को नुकसान या अन्य उल्लंघनों को रोकना बताया गया है।

यह याचिका डीयू के छात्र अंजलि और अभिषेक कुमार ने दाखिल की है, जो आगामी छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं। उन्होंने दलील दी कि यह शर्त लिंगदोह समिति की सिफारिशों के विपरीत है, जो विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनावों के लिए दिशा-निर्देश तय करती है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह “निवारक वित्तीय बोझ” साधारण छात्रों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर कर देता है और अमीर उम्मीदवारों को बढ़त देता है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता और मनमानेपन पर रोक), अनुच्छेद 19(1)(a) (लोकतांत्रिक भागीदारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) तथा अनुच्छेद 21 (गरिमा और समान अवसर के साथ जीवन का अधिकार) का उल्लंघन बताया है।
अब हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 29 अगस्त को करेगा।