दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राजधानी के मेट्रो स्टेशनों पर सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनों के खराब और अपर्याप्त होने के आरोपों पर दाखिल एक जनहित याचिका (PIL) पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) और कई सरकारी निकायों को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने DMRC, दिल्ली सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और दिल्ली महिला आयोग से जवाब मांगा है।
अधिवक्ता निखिल गोयल द्वारा दायर याचिका में सभी मेट्रो स्टेशनों के महिलाओं के शौचालयों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनों और उचित निस्तारण सुविधाओं की तत्काल स्थापना और संचालन सुनिश्चित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लाखों महिलाएं रोजाना दिल्ली मेट्रो से यात्रा करती हैं और मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं की कमी से उनके स्वास्थ्य, गरिमा और मौलिक अधिकारों पर सीधा असर पड़ता है।

PIL के अनुसार, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों के केवल कुछ ही महिला शौचालयों में बुनियादी मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाएं मौजूद हैं। याचिका में कहा गया, “मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने की राज्य की जिम्मेदारी आंशिक रियायतें देकर समाप्त या कम नहीं की जा सकती।” इसमें जोर दिया गया कि स्वच्छता का अधिकार अंतरराष्ट्रीय और भारतीय संवैधानिक ढांचे दोनों में एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
याचिका में दलील दी गई कि केवल अधिकार को स्वीकार करना तब तक बेकार है जब तक इसके समर्थन में ठोस बुनियादी ढांचा और समावेशी नीतियां न हों। इसमें सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के लिए एक व्यापक मासिक धर्म स्वच्छता नीति बनाने और दिल्ली मेट्रो में मासिक धर्म स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के लिए निगरानी व शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की भी मांग की गई है।
मामले की अगली सुनवाई प्रतिवादियों के जवाब दाखिल करने के बाद होगी।