दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली के एक निजी स्कूल के चेयरमैन और शिक्षक को 2012 में 12 वर्षीय छात्र की मौत से संबंधित सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है, जो स्कूल की इमारत की दूसरी मंजिल से गिरकर दुखद रूप से मर गया था। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुनाया कि यह घटना एक विशुद्ध दुर्घटना थी और चेयरमैन नवाब सिंह भाटी या शिक्षिका आशा बुधानी को किसी भी तरह की लापरवाही या लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
यह घटना 24 जनवरी, 2012 को मयूर विहार स्थित ऋषभ पब्लिक स्कूल में हुई थी। वरुण नाम का छात्र रेलिंग पर झुका हुआ था, तभी उसका संतुलन बिगड़ गया और वह गिर गया। अस्पताल ले जाए जाने के बावजूद वरुण ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पांडव नगर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसके बाद भाटी और बुधानी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।
अदालत में चेयरमैन और शिक्षक दोनों के बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों के कार्यों या निष्क्रियताओं से छात्र की मौत का कोई सबूत नहीं मिला। हाईकोर्ट का निर्णय गिरने की परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद आया, जिसमें कहा गया कि वरुण ने अपने कंधे पर भारी बैग को ठीक करने का प्रयास किया, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया।
न्यायमूर्ति कृष्णा ने दुर्घटना की दुर्भाग्यपूर्ण प्रकृति पर जोर दिया और वरुण के माता-पिता के गहरे दुख को स्वीकार किया। हालांकि, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भाटी और बुधानी की ओर से दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। इस प्रकार हाईकोर्ट ने निचली अदालत के अक्टूबर 2023 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें दोनों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, और अधीनस्थ अदालत के निष्कर्षों को पलटने की उनकी याचिका को अनुमति दी।