दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारत के विधि आयोग को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD Act) में संशोधन की आवश्यकता पर विचार करे ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में दिव्यांग श्रेणी के अंतर्गत खाली रह जाने वाली सीटों को अगले शैक्षणिक वर्ष तक आगे बढ़ाया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि यदि ऐसा प्रावधान किया जाए, या वैकल्पिक रूप से इन अप्रयुक्त सीटों को दिव्यांगजन की अन्य श्रेणियों को आवंटित किया जाए, तो यह RPwD अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होगा।
यह निर्देश जहानवी नागपाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। नागपाल ने NEET-UG 2022 चक्र में दिव्यांग श्रेणी के तहत सीट आवंटन की मांग की थी और RPwD अधिनियम की धारा 32 का हवाला दिया था। उन्होंने दलील दी कि दिव्यांग कोटे की रिक्त सीटें निरस्त नहीं होनी चाहिए बल्कि पात्र अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

पीठ ने धारा 34 और धारा 32 के बीच विरोधाभास की ओर संकेत किया। धारा 34, जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण से संबंधित है, रिक्तियों को अगले वर्ष तक आगे बढ़ाने का प्रावधान करती है, जबकि उच्च शिक्षा से संबंधित धारा 32 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
अदालत ने कहा, “यदि याचिकाकर्ता की प्रार्थना स्वीकार की जाती है, तो यह धारा 32 में वह बात जोड़ने जैसा होगा जो विधि में मौजूद नहीं है।” अदालत ने स्पष्ट किया कि विधिक प्रावधान के अभाव में इस प्रकार का राहत आदेश न्यायिक रूप से नहीं दिया जा सकता।
साथ ही, न्यायाधीशों ने कहा कि यह “समय की मांग” है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाए। अदालत ने कहा, “RPwD अधिनियम के प्रावधानों को पूरे बल और प्रभाव के साथ लागू किया जाना चाहिए ताकि दिव्यांगजन को सशक्त बनाया जा सके।”