दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि द्वारका में न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रस्तावित आवासीय परिसर के निर्माण हेतु परियोजना प्रबंधन सलाहकार (PMC) की नियुक्ति की निविदा प्रक्रिया निविदा जारी होने की तारीख से दो माह के भीतर पूरी की जाए।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह आदेश दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट की समीक्षा के बाद पारित किया। रिपोर्ट में बताया गया कि कानून विभाग ने परियोजना सलाहकार की नियुक्ति के लिए सुझाव देने हेतु अंतर-विभागीय निगरानी समिति (IDMC) गठित की है, और यह समिति 28 जुलाई को होने वाली अपनी बैठक में PMC की नियुक्ति के लिए निविदा जारी करने पर अंतिम निर्णय लेगी।
कोर्ट ने आदेश में कहा, “हम निर्देश देते हैं कि PMC की चयन प्रक्रिया निविदा जारी होने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर पूरी की जाए, यदि नियमों के अंतर्गत यह संभव हो। यदि नहीं, तो नियमानुसार न्यूनतम समयसीमा में प्रक्रिया पूर्ण की जाए। किसी भी स्थिति में, निविदा जारी होने की तारीख से दो माह के भीतर प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।”

यह आदेश दिल्ली न्यायिक सेवा संघ द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें दिल्ली में न्यायिक अधिकारियों के लिए पर्याप्त सरकारी आवास उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि राजधानी में 900 स्वीकृत न्यायिक अधिकारियों के मुकाबले केवल 348 के लिए ही सरकारी आवास उपलब्ध हैं, जिसके कारण अधिकांश अधिकारियों को दिल्ली से दूर एनसीआर क्षेत्र में रहना पड़ रहा है।
कोर्ट ने मंगलवार को भी दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई थी कि उसने 23 मई को दिए गए उस आदेश का पालन करने के लिए अब तक ठोस कदम नहीं उठाए, जिसमें कहा गया था कि द्वारका सेक्टर-19 में न्यायिक आवासीय परिसर का निर्माण दो वर्षों में पूरा किया जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा बताई गई समिति पहले से ही शास्त्री पार्क, कड़कड़डूमा और रोहिणी में चल रही परियोजनाओं की निगरानी के लिए बनाई गई थी, न कि द्वारका परियोजना के लिए PMC की नियुक्ति हेतु सुझाव देने के लिए। उन्होंने कहा कि द्वारका के निर्माण कार्य की निगरानी समिति के कार्यक्षेत्र में नहीं आती।