दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर से लोकसभा सांसद अब्दुल राशिद शेख की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने संसद सत्र में ‘कस्टडी में रहते हुए’ भाग लेने के लिए लगाए गए यात्रा और अन्य खर्चों को खुद वहन करने की शर्त को हटाने की मांग की थी। शेख इस समय आतंकवाद के लिए धन जुटाने के एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यदि याचिका दाखिल की गई है, तो वह शुक्रवार को नियमित प्रक्रिया के तहत सूचीबद्ध होगी और उसमें किसी तात्कालिकता की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आप याचिका दाखिल करें, यह कल स्वतः सुनवाई के लिए आ जाएगी। हम पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं।”
शेख के वकील की ओर से कहा गया कि वे जेल प्रशासन द्वारा तय की गई राशि को कम करने की मांग नहीं कर रहे, बल्कि उस शर्त को हटाने की अपील कर रहे हैं जिसमें यात्रा और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं का पूरा खर्च खुद वहन करना अनिवार्य किया गया है।

शेख ने अपनी याचिका में कहा है कि 26 मार्च को अदालत द्वारा संसद में उपस्थिति की अनुमति मिलने के बाद उसी शाम जेल प्रशासन ने उन्हें सूचित किया कि प्रति दिन यात्रा एवं संबंधित खर्च के रूप में लगभग ₹1.45 लाख जमा करने होंगे, जो छह दिन की अवधि के लिए कुल ₹8.74 लाख बैठते हैं। उन्होंने कहा कि वे इस “अत्यधिक भारी-भरकम खर्च” को वहन करने में असमर्थ हैं और यह बोझ उन पर डाला जाना अनुचित है, जबकि वे अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि 25 मार्च को हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की आपत्तियों को खारिज करते हुए शेख को 4 अप्रैल तक ‘कस्टडी में’ रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कुछ सख्त शर्तें भी लगाई थीं, जिनमें शेख को plain-clothed पुलिसकर्मियों की निगरानी में जेल से संसद लाने-ले जाने की व्यवस्था और यात्रा व अन्य खर्च खुद वहन करने की शर्तें शामिल थीं।
शेख पर 2017 के एक टेरर फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चल रहा है। उन्होंने शुरू में कस्टडी परोल या अंतरिम जमानत की मांग की थी ताकि संसद सत्र में भाग ले सकें, लेकिन बाद में इसे बदलकर ‘कस्टडी में उपस्थिति’ की अनुमति मांगी।
NIA ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि संसद में उपस्थिति की अनुमति शेख को अपने विचारों को प्रचारित करने का मंच दे सकती है, जिसका वे दुरुपयोग कर सकते हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि संसद की कार्यवाही पर नियंत्रण लोकसभा अध्यक्ष के पास है और संसद की मर्यादा को बनाये रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अब्दुल राशिद शेख ने 2024 के लोकसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला को हराकर जीत दर्ज की थी। वह पहले भी विवादों में रहे हैं और उन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को फंड करने के गंभीर आरोप हैं। 2019 में उनकी गिरफ्तारी के बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। उस वर्ष उन्हें जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए एक महीने की अंतरिम जमानत दी गई थी।