दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता ए.एस. इस्माईल को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस्माईल यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत दर्ज आतंकी गतिविधियों से जुड़े एक मामले में आरोपी हैं।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने 13 मई को आदेश पारित करते हुए कहा कि इस्माईल को जेल में पर्याप्त चिकित्सकीय देखभाल मिल रही है और उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। अदालत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री दर्शाती है कि अपीलकर्ता को उचित इलाज मिल रहा है और वह जेल में रहते हुए भी सुधार दिखा रहा है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से यह साबित नहीं होता कि जमानत न मिलने पर इस्माईल की हालत और बिगड़ सकती है। “अपीलकर्ता की स्थिति ऐसी नहीं है कि अंतरिम जमानत न मिलने पर उसमें गिरावट आए,” अदालत ने कहा।

कोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि इस्माईल के लिए तय इलाज, नियमित फिजियोथेरेपी और रक्तचाप की निगरानी जारी रखी जाए। साथ ही, AIIMS में प्रत्येक माह एक बार चिकित्सा मूल्यांकन के लिए ले जाने का भी निर्देश दिया गया।
इस्माईल को 22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। वह उन 19 आरोपियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने चार्जशीट दाखिल की है। एनआईए ने आरोप लगाया है कि पीएफआई के पदाधिकारी और सदस्य देश और विदेश से कानूनी और अवैध तरीकों से धन जुटाकर देशभर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे, खासकर केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में।
एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि इस्माईल मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें भारत सरकार व संस्थानों के खिलाफ भड़काने में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे। उनका उद्देश्य देश में इस्लामिक शासन स्थापित करना बताया गया है।
मामले की सुनवाई अभी न्यायालय में लंबित है।