दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के डिप्टी मुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी से जुड़े कथित मानहानिकारक ऑनलाइन सामग्री को तुरंत हटाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने यह कदम तब उठाया जब मेटा की ओर से यह आपत्ति जताई गई कि चौधरी केवल प्लेटफॉर्म के खिलाफ निर्देश मांग रहे हैं, जबकि जिस व्यक्ति या व्यक्तियों ने उक्त सामग्री अपलोड की है, उन्हें मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने सुनवाई के दौरान मेटा को निर्देश दिया कि वह तीन दिनों के भीतर सामग्री अपलोड करने वालों का विवरण चौधरी को प्रदान करे। साथ ही, उन्होंने जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) नेता को निर्देश दिया कि उन व्यक्तियों को नोटिस भेजकर मुकदमे की प्रति सर्व करें।
चौधरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने तुरंत सामग्री हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पोस्ट में एक महिला के साथ फोन बातचीत का वीडियो दिखाया गया है, जिसमें यौन संकेतों जैसा कंटेंट है, और इससे रोजाना उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है। नायर ने यह भी कहा कि बिना अपलोडर्स को सुने भी वीडियो हटाने के आदेश दिए जा सकते हैं।
मेटा के वकील ने आपत्ति जताई कि वीडियो मई 2023 से ऑनलाइन मौजूद है और चौधरी केवल प्लेटफॉर्म को निशाना बना रहे हैं, जबकि अपलोड करने वालों को मुकदमे में शामिल नहीं किया गया।
दलीलों पर विचार करते हुए अदालत ने मेटा को जानकारी देने के लिए निर्धारित अवधि एक सप्ताह से घटाकर तीन दिन कर दी। न्यायमूर्ति बंसल ने स्पष्ट किया कि यदि नोटिस मिलने के बाद भी संबंधित व्यक्ति पेश नहीं होते, तो अदालत आदेश पारित करेगी।
“आप उनको ले आइए, हम आदेश पास कर देंगे। अगर वे नहीं आते, तब भी आदेश पास कर देंगे। जब पहचान पता हो, तो आपको सर्व करना ज़रूरी है। आपका चेहरा एक साल से वहां है, अब आप जागे हैं। उन्हें आने दें। आप सर्व करें, हम आदेश पास करेंगे,” न्यायमूर्ति बंसल ने नायर से कहा।
यह आदेश चौधरी की उस अर्जी पर पारित किया गया जिसमें उन्होंने अगली सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था, यह दावा करते हुए कि ऑनलाइन सामग्री से उनकी प्रतिष्ठा को “गंभीर क्षति” हो रही है।
अब मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

