दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को निर्देश दिया कि पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषित पेयजल आपूर्ति की शिकायतों के बाद वह तत्काल निरीक्षण करे और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता ध्रुव गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि योजना विहार, आनंद विहार, जागृति एन्क्लेव और आसपास के अन्य इलाकों में काले रंग का और बदबूदार पानी सप्लाई किया जा रहा है।
पीठ ने जल की गुणवत्ता पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, “देखिए, कैसा पानी मिल रहा है लोगों को।” अदालत ने DJB अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित क्षेत्रों का भौतिक निरीक्षण करें, विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें और अगली सुनवाई में अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें।

अदालत ने यह भी कहा कि यदि निरीक्षण के दौरान किसी खामी का पता चलता है, जिसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है, तो उसमें कोई देरी न की जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि निवासियों को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति हो।
याचिकाकर्ता के अनुसार, 12 जून से प्रभावित इलाकों में नालियों के पानी से मिश्रित पेयजल की आपूर्ति हो रही है। निवासियों द्वारा संबंधित अधिकारियों से कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
याचिका में कहा गया कि स्वच्छ पेयजल का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अनिवार्य हिस्सा है, और उसकी इस तरह की अवहेलना एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकती है, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया कि वह दिल्ली सरकार और जल बोर्ड को निर्देश दे कि तुरंत स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति बहाल की जाए और भविष्य में पेयजल में सीवेज के मिश्रण को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।
इस मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को निर्धारित है।