दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को फीस विवाद के बीच छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार को लेकर दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करने और कक्षाओं में जाने से रोकने की स्कूल की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि यह स्कूल “मुनाफा कमाने की मशीन” बन गया है और “इसे बंद कर देना चाहिए।”
इस सुनवाई में कई छात्र अपने माता-पिता के साथ मौजूद रहे। अदालत ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जिलाधिकारी के नेतृत्व में गठित आठ सदस्यीय समिति की एक जांच रिपोर्ट की समीक्षा की, जिसमें स्कूल द्वारा छात्रों के साथ भेदभाव के कई मामले सामने आए। इनमें नियमित कक्षाओं में प्रवेश से रोकना, कैंटीन की सुविधा से वंचित करना और शौचालय जाने तक पर निगरानी रखना शामिल था।
न्यायमूर्ति दत्ता ने स्कूल की इन हरकतों पर हैरानी जताते हुए कहा, “मान लीजिए फीस नहीं दी गई है, तब भी आप कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन इस तरह नहीं। यह क्या हो रहा है? फीस न दे पाने का मतलब यह नहीं कि आप छात्रों के साथ इस तरह की अवमानना करें।”

यह मामला तब अदालत के समक्ष आया जब स्कूल ने जुलाई 2024 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा जारी उस नोटिस को चुनौती दी, जिसमें स्कूल के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। आयोग ने स्कूल पर फीस न भरने पर छात्रों को निष्कासित करने और एक संवेदनशील स्वास्थ्य स्थिति में उनकी उपेक्षा करने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
हाईकोर्ट ने अपने प्रारंभिक आदेश में स्कूल को निर्देश दिया कि वह छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करना तुरंत बंद करे और उन्हें बिना किसी भेदभाव के नियमित कक्षाओं में वापस शामिल करे। कोर्ट ने छात्रों के साथ की गई अवमानना के लिए स्कूल की प्राचार्या के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश भी की।
सुनवाई के दौरान शिक्षा निदेशालय (DoE) के वकील ने अदालत को बताया कि स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और हाल ही में उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें पूछा गया है कि उसकी मान्यता क्यों न रद्द की जाए। निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उन्होंने नियमानुसार स्वीकृत फीस का भुगतान किया था, जिससे स्कूल का गैर-भुगतान का दावा झूठा साबित होता है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से की गई फीस वृद्धि के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार शिक्षा में पारदर्शिता और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने कई स्कूलों को नोटिस जारी कर फीस वृद्धि पर स्पष्टीकरण मांगा है और चेतावनी दी है कि संतोषजनक जवाब न देने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।