‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म में कट लगाने के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की अधिकारिता पर उठाए सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स – कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ में छह कट लगाने के केंद्र सरकार के आदेश पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि क्या केंद्र ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत प्रदत्त संशोधित शक्तियों की सीमा का उल्लंघन किया है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र से कहा, “आपको कानून की सीमाओं के भीतर रहकर ही शक्तियों का प्रयोग करना होगा। आप इससे बाहर नहीं जा सकते।”

यह मामला आरोपी मोहम्मद जावेद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा, जिन्होंने तर्क दिया कि फिल्म का प्रसारण उनके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को प्रभावित करेगा और उनके निष्पक्ष मुकदमे के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अदालत को बताया कि फिल्म निर्माता स्वयं कह चुके हैं कि फिल्म का आधार चार्जशीट है और संवाद भी उसी से लिए गए हैं। “मैं इस देश का नागरिक हूं और मुझे निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है। फिल्म के प्रसारण से यह अधिकार प्रभावित होगा,” उन्होंने कहा।

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गुरुस्वामी ने यह भी तर्क दिया कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार के पास केवल तीन संशोधनात्मक विकल्प हैं — फिल्म का प्रसारण रोकना, प्रमाणपत्र में बदलाव करना या उसे निलंबित करना। “लेकिन केंद्र ने जो किया वह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है — उसने संवाद हटाने, डिस्क्लेमर जोड़ने और बदलाव करने जैसे निर्देश दिए, जो केवल सेंसर बोर्ड ही दे सकता है,” उन्होंने कहा।

केंद्र और फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि फिल्म दो स्तरों पर जांच से गुजरी — पहले सेंसर बोर्ड ने 55 कट सुझाए और फिर मंत्रालय ने 6 और कट लगाने को कहा, कुल 61 कट। हालांकि पुनः प्रमाणित फिल्म अब तक निर्माता को नहीं सौंपी गई है क्योंकि मामला अभी अदालत में लंबित है।

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न्यायालय ने शर्मा से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या संशोधित शक्तियों के अंतर्गत केंद्र सरकार फिल्म में कट लगाने का निर्देश दे सकती है, खासकर तब जब कानून में इस संबंध में संशोधन हो चुका है।

इसके अतिरिक्त, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर एक अन्य याचिका भी इसी मामले से संबंधित है, लेकिन वकील की अनुपस्थिति के चलते उस पर सुनवाई नहीं हो सकी। दोनों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित की गई थीं।

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गौरतलब है कि उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने हत्या का वीडियो जारी कर कहा था कि यह नुपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट डालने के जवाब में की गई थी। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है और आरोपी आतंकवाद विरोधी कानून (UAPA) के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मामला फिलहाल जयपुर स्थित विशेष एनआईए अदालत में विचाराधीन है।

अब यह मामला 1 अगस्त को फिर से सुना जाएगा, जब केंद्र सरकार अपनी दलीलें पूरी करेगी।

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