ऑनलाइन गेमिंग कानून के लिए प्राधिकरण गठित करें, नियम बनाएं: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि ऑनलाइन गेमिंग के प्रोत्साहन और विनियमन अधिनियम, 2025 (Promotion and Regulation of Online Gaming Act, 2025) को लागू करने के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाए और नियम अधिसूचित किए जाएं।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ इस कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कहा कि बिना नियमों और प्राधिकरण के गठन के, अधिनियम व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो सकेगा।

“जब तक आप प्राधिकरण का गठन नहीं करेंगे और नियम नहीं बनाएंगे, तब तक आप इस अधिनियम पर काम नहीं कर पाएंगे,” खंडपीठ ने कहा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद तय की।

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अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र की ओर से पेश हुए, ने अदालत को बताया कि सरकार प्राधिकरण गठित करने और नियम बनाने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि सरकार ई-स्पोर्ट्स और सुरक्षित ऑनलाइन सामाजिक व शैक्षणिक खेलों को बढ़ावा दे रही है, लेकिन ऑनलाइन मनी गेम्स बच्चों में लत और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं।

यह अधिनियम संसद द्वारा 21 अगस्त 2025 को पारित किया गया था। इसमें सभी प्रकार के ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर रोक लगाई गई है, जबकि ई-स्पोर्ट्स और सुरक्षित ऑनलाइन खेलों को प्रोत्साहित किया गया है। हालांकि, अधिनियम को लागू करने के लिए उपविधि और प्राधिकरण का गठन अभी बाकी है।

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यह याचिका बघीरा कैरम (ओपीसी) प्राइवेट लिमिटेड, एक ऑनलाइन कैरम प्लेटफॉर्म, ने दाखिल की थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून बिना पर्याप्त विचार-विमर्श और हितधारकों से परामर्श के जल्दबाजी में लाया गया है। कंपनी ने यह भी दलील दी कि कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के रियल मनी गेम्स पर रोक लगाता है, चाहे वे कौशल पर आधारित हों या संयोग पर।

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हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में करेगी और केंद्र की प्रगति की समीक्षा करेगी।

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