दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को नोटिस जारी कर दिवंगत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के वारिसों की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने disproportionate assets (अवैध संपत्ति) मामले में उनकी सजा के खिलाफ लंबित अपील में खुद को पक्षकार बनाए जाने की मांग की है।
न्यायमूर्ति रविंदर दुडे़जा ने CBI से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर तय की।
चौटाला के परिवार ने यह आवेदन उनकी 20 दिसंबर 2024 को गुरुग्राम (हरियाणा) में मृत्यु के बाद दायर किया। याचिका में कहा गया कि चूँकि चौटाला ने जीवनकाल में ही अपनी सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर की थी, इसलिए उनके कानूनी वारिसों को इसे आगे बढ़ाने की अनुमति मिलनी चाहिए।

दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने 27 मई 2022 को चौटाला को चार साल की सजा सुनाई थी और ₹50 लाख का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने पाया था कि उन्होंने 1993 से 2006 के बीच अपनी ज्ञात आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।
अगस्त 2022 में हाईकोर्ट ने चौटाला की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें जमानत दी थी। यह राहत ₹50 लाख जुर्माना अदा करने और निजी बॉन्ड व जमानत दाखिल करने की शर्त पर दी गई थी। चौटाला अपनी मृत्यु तक जमानत पर ही थे।
CBI ने 2005 में मामला दर्ज कर 26 मार्च 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया था। इसमें आरोप था कि चौटाला ने 24 जुलाई 1999 से 5 मार्च 2005 के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की। FIR में यह भी कहा गया कि संपत्तियां उनके परिवारजनों के नाम पर भी खरीदी गईं।
ट्रायल कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि चौटाला अपनी वैध आय से अधिक संपत्ति का संतोषजनक हिसाब देने में विफल रहे, जिसके चलते उन्हें दोषी ठहराया गया।
हाईकोर्ट अब यह तय करेगा कि चौटाला के कानूनी वारिस उनकी अपील को आगे बढ़ा सकते हैं या नहीं। CBI को अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा।