दिल्ली हाईकोर्ट ने हैदराबाद स्थित पालमुर बायोसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को पशुओं पर परीक्षण करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह आदेश पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा लगाए गए पशु क्रूरता और लापरवाही के गंभीर आरोपों पर दिया गया।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 17 जून को पशु प्रयोगों के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के लिए समिति (CCSEA) द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट और तस्वीरों की समीक्षा करते हुए कहा कि संस्थान में पशुओं की “दयनीय” स्थिति को सुधारने के लिए तात्कालिक अंतरिम निर्देश आवश्यक हैं।
हाईकोर्ट ने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के अधीन कार्यरत CCSEA को निर्देश दिया कि वह लैब में रखे गए पशुओं को तत्काल पशु चिकित्सकीय देखभाल, उपचार से पहले बेहोशी (sedation), और उचित आश्रय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए।

न्यायालय ने बिना निगरानी के यूटेनेशिया (मृत्युदंड) जैसे अमानवीय उपायों और बेहोशी के बिना इलाज जैसे कृत्यों पर भी सख्त प्रतिबंध लगाया और मानवीय व्यवहार अपनाने पर बल दिया।
कोर्ट ने आदेश दिया, “समस्या वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए CCSEA और याचिकाकर्ता के प्रतिनिधियों की संयुक्त निरीक्षण टीम एक सप्ताह के भीतर निरीक्षण करे। आवश्यक कदम दो सप्ताह के भीतर उठाए जाएं और चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश की जाए।”
PETA इंडिया ने याचिका में आरोप लगाया कि पालमुर बायोसाइंसेज, जो बीगल नस्ल के कुत्तों की व्यावसायिक ब्रीडिंग और प्रीक्लिनिकल रिसर्च में संलग्न है, वहां जानवरों के साथ अमानवीय प्रयोग और उपेक्षा की जा रही है। PETA का कहना था कि 17 जून की निरीक्षण रिपोर्ट के बावजूद कंपनी ने आपत्तिजनक गतिविधियां — जैसे यूटेनेशिया और पशु चिकित्सा सेवाओं से इनकार — जारी रखी हैं।
इस पर CCSEA के वकील ने अदालत को बताया कि निरीक्षण रिपोर्ट में जो चिंताएं उजागर हुई थीं, उन्हें गंभीरता से लिया गया है और लैब को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं। आगे की जांच भी जारी है।
अदालत ने CCSEA और पालमुर बायोसाइंसेज दोनों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को निर्धारित की गई है।