दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोर प्रेम मामलों में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की

दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोर प्रेम मामलों में कानून के दृष्टिकोण में एक प्रगतिशील बदलाव की मांग की है, जिसमें दंडात्मक उपायों के बजाय समझ और सम्मान को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है। एक ऐतिहासिक फैसले में न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने इस बात पर बल दिया कि कानून को विकसित होते हुए किशोरों के उन संबंधों को सम्मान और सुरक्षा देनी चाहिए जो सहमति पर आधारित हों और किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त हों।

यह निर्णय 30 जनवरी को पारित हुआ था और वैलेंटाइन डे के दिन सार्वजनिक किया गया। अदालत के इस फैसले ने प्रेम को एक मौलिक मानवीय अनुभव के रूप में मान्यता दी है और यह स्पष्ट किया है कि किशोरों को अपने भावनात्मक संबंध बनाने के अधिकार से डराया या आपराधिक परिणामों की धमकी देकर वंचित नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सिंह ने अपने आदेश में कहा, “प्रेम एक मौलिक मानवीय अनुभव है और किशोरों को भावनात्मक संबंध बनाने का अधिकार है।”

READ ALSO  दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी, वृक्ष अधिकारी से सदियों पुराने बरगद के पेड़ को संरक्षित करने को कहा

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि भले ही नाबालिगों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन कानून का मुख्य उद्देश्य शोषण और दुरुपयोग को रोकना होना चाहिए, न कि किशोरों के सहमति-आधारित प्रेम संबंधों को दंडित करना। अदालत ने कहा, “कानून का फोकस प्रेम को दंडित करने के बजाय शोषण और दुरुपयोग को रोकने पर होना चाहिए।”

Video thumbnail

न्यायमूर्ति सिंह की टिप्पणी यह दर्शाती है कि समाज में किशोर प्रेम को लेकर बढ़ती समझ विकसित हो रही है और यह एक स्वाभाविक मानवीय विकास प्रक्रिया का हिस्सा है। यह फैसला कानूनी प्रथाओं और समाज के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, जिससे किशोरों के लिए एक सहायक और सुरक्षित वातावरण तैयार हो सकेगा, जिसमें वे बिना किसी कानूनी डर के अपने भावनाओं को व्यक्त कर सकें और प्रेम का अनुभव कर सकें।

READ ALSO  कार्यस्थल पर उत्पीड़न की चपेट में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मी: उच्च न्यायालय
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles