दिल्ली की एक अदालत ने महिला को ‘र**डी’ (सेक्स वर्कर) कहने और यौन हिंसा की धमकी देने के मामले में आरोपी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक डराना) और 509 (महिला की शालीनता का अपमान) के तहत दोषी ठहराया है। यह फैसला 15 जुलाई 2025 को द्वारका कोर्ट, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) हरजोत सिंह औजला ने सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 6 जून 2021 का है, जब जनकपुरी, नई दिल्ली की निवासी महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि आरोपी ने उसे बार-बार फोन कर धमकियाँ दीं, उसके दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक दी, और अश्लील व आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। महिला के अनुसार, आरोपी ने फोन पर कहा, “दरवाजा खोल दे, मुझे तेरे साथ सेक्स करना है” और बाद में धमकी दी, “दरवाजा खोल दे नहीं तो तेरे साथ अच्छा नहीं होगा, तुझे गोली मार दूंगा।”
शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि जब वह पास की दुकान पर जाती थी, तो आरोपी उसे गंदी गालियाँ देता था, जैसे “र**डी तुझे मैं बताऊंगा, बहुत समझदार अपने आप को समझती है।” एक बार आरोपी ने किसी और को उसे ईंट मारने के लिए उकसाया, जो उस समय उसकी छोटी बच्ची को लेकर जा रही थी।

दलीलें और साक्ष्य
अभियोजन पक्ष ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए, जिनमें महिला का विस्तृत बयान, जांच अधिकारी का बयान, व्हाट्सएप संदेशों के रिकॉर्ड और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के तहत प्रमाण पत्र शामिल थे।
वहीं, बचाव पक्ष ने दावा किया कि मामला किराये के विवाद के चलते झूठा गढ़ा गया है। हालांकि, आरोपी ने अपने बयान में यह स्वीकार किया कि घटना वाले दिन उसने महिला को संदेश भेजे थे, भले ही उसने दावा किया कि वे केवल किराये के मुद्दे से संबंधित थे।
कोर्ट का विश्लेषण
कोर्ट ने महिला के बयान को “स्पष्ट, सुसंगत, विश्वसनीय और भरोसेमंद” माना और देखा कि जिरह के दौरान भी उसकी गवाही में कोई महत्वपूर्ण विरोधाभास नहीं आया। अदालत ने गवाहों की संख्या के बजाय उनके बयान की गुणवत्ता को अहम माना और एक विश्वसनीय गवाह के बयान के आधार पर सजा देना सही ठहराया।
रूपन देओल बजाज बनाम के.पी.एस. गिल और स्टेट ऑफ पंजाब बनाम मेजर सिंह जैसे मामलों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि किसी महिला को ‘र**डी’ कहना मात्र अपमान नहीं, बल्कि उसकी यौन गरिमा पर सीधा प्रहार है, जो उसके चरित्र पर कीचड़ उछालने और उसे बदनाम करने के इरादे से किया जाता है। इसलिए यह धारा 509 IPC के तत्वों को पूरा करता है।
साथ ही, अदालत ने पाया कि आरोपी द्वारा “दरवाजा नहीं खोला तो गोली मार दूंगा” जैसी स्पष्ट धमकियाँ देना आपराधिक डराने (क्रिमिनल इन्टिमिडेशन) की श्रेणी में आता है, जो धारा 506 IPC के अंतर्गत दंडनीय है।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे अपना मामला साबित किया है और आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (भाग 2) और 509 के तहत दोषी ठहराया।