दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी ताहावुर हुसैन राणा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत के दौरान अपने परिवार से बातचीत करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह निर्णय न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाया।
राणा, जिसे अमेरिका से लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद भारत प्रत्यर्पित किया गया, ने अदालत से अपील की थी कि उसे अपने परिवार से बात करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि यह उसका मौलिक अधिकार है और हिरासत में रहते हुए उसके परिवारजन उसकी कुशलता को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, एनआईए ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राणा को परिवार से बातचीत की इजाजत देने से वह जांच से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा कर सकता है। एजेंसी ने यह भी बताया कि मुंबई हमले की बड़ी साजिश से जुड़े मामले की जांच बेहद अहम मोड़ पर है, हालांकि विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई।
विशेष न्यायाधीश ने संक्षिप्त आदेश में राणा की याचिका खारिज करते हुए कहा, “अनुमति नहीं दी जाती।”

राणा इस समय नई दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए के उच्च-सुरक्षा वाले बंदीगृह में कड़ी निगरानी में रखा गया है। उसे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा नियुक्त वकील से हर दूसरे दिन मिलने की अनुमति है और उसकी चिकित्सकीय जांच हर 48 घंटे में की जा रही है। एजेंसियों ने उसकी कुछ व्यक्तिगत मांगें भी पूरी की हैं, जिनमें उसे कुरान, कलम और कागज उपलब्ध कराना शामिल है।
एनआईए का दावा है कि राणा की अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलीभगत थी, जो पहले ही अमेरिका में 26/11 हमलों में अपनी भूमिका के लिए सजा काट रहा है। जांच एजेंसी के अनुसार, राणा ने हेडली के साथ मुंबई हमले को लेकर चर्चाएं की थीं, जिनमें पाकिस्तान में मौजूद माने जा रहे इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान जैसे अन्य व्यक्तियों के नाम भी सामने आए हैं।