डीलर उपभोक्ता को ‘कैश काउ’ नहीं समझ सकता: उपभोक्ता अदालत ने नोकिया और डीलर को दोषी ठहराया

उपभोक्ता अधिकारों को मजबूती प्रदान करने वाले एक महत्वपूर्ण फैसले में, त्रिशूर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने केरल के त्रिशूर निवासी सुनील कुमार के पक्ष में निर्णय सुनाया। सुनील कुमार ने नोकिया मोबाइल कंपनी लिमिटेड और उसके अधिकृत विक्रेता कन्नन’स डिजिटल ट्रेंड्स के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें उन्होंने दोषपूर्ण मोबाइल फोन बेचने और उचित समाधान न देने का आरोप लगाया था।

आयोग, जिसकी अध्यक्षता श्री सी. टी. साबु (अध्यक्ष) और सदस्य श्रीमती स्रीजा एस. तथा श्री राम मोहन आर. कर रहे थे, ने मोबाइल निर्माता और डीलर को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए संयुक्त रूप से उत्तरदायी ठहराया। आयोग ने उन्हें दोषपूर्ण मोबाइल फोन की कीमत की वापसी करने, मानसिक उत्पीड़न के लिए हर्जाना देने और मुकदमेबाजी खर्च का भुगतान करने का आदेश दिया। यह राशि 9% वार्षिक ब्याज के साथ शिकायत दर्ज करने की तिथि से देय होगी।

मामले की पृष्ठभूमि

शिकायतकर्ता सुनील कुमार ने 29 जून, 2018 को अधिकृत विक्रेता कन्नन’स डिजिटल ट्रेंड्स से ₹6,700 की कीमत में नोकिया 2TA 1011 DS मोबाइल फोन खरीदा था। इस फोन पर एक साल की वारंटी थी, लेकिन कुछ ही दिनों में इसमें सॉफ्टवेयर से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो गईं, जिससे यह उपयोग करने योग्य नहीं रहा।

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उन्होंने इसे ठीक कराने के लिए 30 जुलाई, 11 अगस्त और 22 सितंबर 2018 को त्रिशूर मोबाइल केयर सेवा केंद्र में जमा किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। जब डीलर और निर्माता दोनों ने कोई सहायता नहीं दी, तो सुनील कुमार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 12(1) के तहत उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, त्रिशूर का रुख किया और धन-वापसी एवं मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवजे की मांग की।

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कानूनी मुद्दे

आयोग ने चार प्रमुख कानूनी प्रश्न तय किए:

  1. क्या मोबाइल फोन में निर्माण संबंधी दोष था?
  2. क्या प्रतिवादी पक्षों द्वारा सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार किया गया था?
  3. क्या शिकायतकर्ता को धन-वापसी और मुआवजे का हकदार माना जाए?
  4. क्या प्रतिवादी पक्षों को मुकदमेबाजी का खर्च उठाना चाहिए?

अदालत का निर्णय

1. निर्माण दोष प्रमाणित

आयोग ने चालान और जॉब शीट जैसे साक्ष्यों की समीक्षा करने के बाद पाया कि मोबाइल फोन वारंटी अवधि में ही बार-बार सॉफ़्टवेयर खराबी (“416 स्टार्ट-अप-SW-फेल्योर-रीफ्लैश”) के कारण खराब हो रहा था।

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आयोग ने कहा:

“फोन में बार-बार आ रही खराबी, वह भी कुछ ही दिनों में, यह साबित करती है कि इसमें निर्माण संबंधी दोष था।”

नोकिया ने दावा किया कि यह खराबी उपभोक्ता द्वारा गलत उपयोग के कारण आई थी, लेकिन कंपनी इसका कोई प्रमाण नहीं दे पाई, जिससे उसका पक्ष खारिज कर दिया गया।

2. सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार

आयोग ने निर्माता और डीलर दोनों को उपभोक्ता की शिकायत पर ध्यान न देने के लिए दोषी ठहराया।

निर्णय में कहा गया:

“एक नया मोबाइल फोन अगर कुछ ही दिनों में बार-बार सर्विस सेंटर ले जाना पड़े, तो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वह फोन पहले से ही दोषपूर्ण था।”

डीलर के कर्तव्यों को लेकर आयोग ने टिप्पणी की:

“डीलर मात्र नकद संग्रह केंद्र नहीं होता, जिसके दायित्व उत्पाद बेचने के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। डीलर उपभोक्ता को सिर्फ ‘कैश काउ’ के रूप में नहीं देख सकता।”

कन्नन’स डिजिटल ट्रेंड्स ने नोकिया के साथ मिलकर समस्या सुलझाने का प्रयास नहीं किया, जिससे उसका व्यवहार अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना साबित हुआ।

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3. धन-वापसी और मुआवजा देने का आदेश

शिकायतकर्ता को हुई मानसिक पीड़ा और असुविधा को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

  • ₹6,700/- की धन-वापसी (दोषपूर्ण फोन के लिए)
  • ₹5,000/- मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवजा
  • ₹5,000/- मुकदमे का खर्च
  • 9% वार्षिक ब्याज शिकायत दर्ज करने की तिथि से कुल राशि पर लागू होगा

आयोग ने नोकिया और कन्नन’स डिजिटल ट्रेंड्स को 30 दिनों के भीतर आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, अन्यथा उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा सकती है।

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