केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि 2013 में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले की सुनवाई अगले दो से तीन महीनों में पूरी होने की संभावना है। मामला।
आरोपी वीरेंद्रसिंह तावड़े ने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत मांगी थी। उन्हें इस मामले में 2016 में गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता संदेश पाटिल ने न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और पीडी नाइक की खंडपीठ को बताया कि पुणे की निचली अदालत ने अब तक 15 गवाहों का परीक्षण किया है।
पाटिल ने कहा, “केवल सात से आठ गवाह शेष हैं। मैंने मामले में विशेष लोक अभियोजक से बात की है, जिन्होंने कहा कि यदि मुकदमे में तेजी लाई जाती है तो इसे दो से तीन महीने में पूरा किया जा सकता है।”
पीठ ने यह जानना चाहा कि क्या कोई गवाह, जिसका पहले ही परीक्षण हो चुका है, अदालत में पक्षद्रोही हो गया। पाटिल ने नकारात्मक में उत्तर दिया।
अदालत ने तब तावड़े के वकील वीरेंद्र इचलकरंजीकर से पूछा कि क्या वह कुछ और महीने इंतजार करने को तैयार हैं।
अधिवक्ता ने, हालांकि, अदालत से गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका पर फैसला करने की मांग करते हुए कहा कि तावड़े सात साल से सलाखों के पीछे हैं।
इचलकरंजीकर ने दावा किया कि तावड़े के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
पीठ ने इसके बाद जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की।
तर्कवादी और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक दाभोलकर (67) की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
कथित तौर पर कट्टरपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों ने उन्हें गोली मार दी थी।
2014 में पुणे शहर पुलिस से मामला अपने हाथ में लेने वाली सीबीआई ने मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।
मामले की सुनवाई अक्टूबर 2021 में शुरू हुई।
इस मामले में आरोपी व्यक्ति तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कालस्कर, विक्रम भावे और अधिवक्ता संजीव पुनालेकर हैं।
जमानत पर रिहा पुनाळेकर पर सबूत नष्ट करने का आरोप है।
अन्य चार पर हत्या, आपराधिक साजिश और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के कड़े प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है।