गौतम बुद्ध नगर की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी देने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह आदेश द्वितीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार सागर ने 13 मई 2025 को पारित किया। यह मामला तब अदालत के समक्ष आया जब सूरजपुर कोतवाली पुलिस ने सपा नेता और अधिवक्ता रामसरण नगर की ओर से की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। वायरल वीडियो, जो 12 अप्रैल को सामने आया था, में एक व्यक्ति को अखिलेश यादव को गोली मारने की धमकी देते हुए साफ तौर पर देखा गया।
रामसरण नगर—जो सपा अधिवक्ता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव और गौतम बुद्ध नगर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं—ने 23 अप्रैल को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(4) के तहत अदालत में अर्जी दायर की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने सूरजपुर पुलिस को अमरेन्द्र प्रताप सिंह और उसके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि धमकी सोशल मीडिया जैसे तकनीकी मंच के माध्यम से दी गई थी, जो भौगोलिक सीमाओं से बंधा नहीं है, इसलिए पीड़ित भारत के किसी भी स्थान से एफआईआर दर्ज करा सकता है।
“इस घटना को क्षेत्रीय अधिकारिता तक सीमित नहीं किया जा सकता,” अदालत ने कहा। साथ ही यह भी जोड़ा कि यदि बाद में पुलिस को मामला स्थानांतरण करना आवश्यक लगे, तो एफआईआर को ज़ीरो एफआईआर मानकर संबंधित जिले को प्रेषित किया जा सकता है।
रामसरण नगर ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि वीडियो ने जनभावनाओं को आहत किया है और समाज में व्यापक रोष उत्पन्न किया है। फेसबुक जैसे सार्वजनिक मंच पर दिए गए इस बयान का सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर प्रभाव पड़ा है, जिसे किसी एक स्थान तक सीमित नहीं माना जा सकता।
अब अदालत के आदेश के बाद पुलिस को अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू करनी होगी।