दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में समन जारी करने पर फैसला टाल दिया है। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 30 जून को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 6 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी। 25 अप्रैल को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच के लिए एक महीने का समय दिया था। 24 मार्च को कोर्ट ने गहलोत के खिलाफ फिलहाल समन जारी नहीं करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर को निर्देश दिया था कि वो इस मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करें।
इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत समेत चार गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए हैं। शेखावत ने अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से उनका कोई संबंध नहीं है और जांच एजेंसियों ने उन्हें आरोपित नहीं माना। शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली। इस घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को। एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है, लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि ईडी विपक्ष के नेताओं पर लगातार कार्रवाई कर रही है। गहलोत ने अपने ट्वीट में शेखावत से कहा कि अगर आप निर्दोष हैं तो आगे आइए और लोगों के पैसे वापस कीजिए।
याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत का नाम एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ जोड़कर चरित्र हनन करने की कोशिश की जिसका न तो वे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस सोसायटी में जमाकर्ता है।