सुप्रीम कोर्ट ने आज CLAT-UG 2025 परीक्षा में कई सवालों की गलतियों को गंभीरता से लेते हुए कॉन्सोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज़ को निर्देश दिया है कि वह मेरिट लिस्ट को संशोधित करे। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के कुछ निर्देशों को रद्द करते हुए कॉन्सोर्टियम को कुछ सवालों के लिए अंक देने और कुछ को पूरी तरह हटाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने परीक्षा के संचालन में लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “सबसे पहले, हमें इस बात पर खेद व्यक्त करना पड़ता है कि कॉन्सोर्टियम ने CLAT जैसी परीक्षा, जो लाखों छात्रों के करियर से जुड़ी है, उसके प्रश्नों को तैयार करने में बेहद लापरवाही बरती है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्ष 2018 में CLAT परीक्षा की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के बावजूद न तो केंद्र सरकार और न ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोई ठोस कदम उठाए। इस कारण कोर्ट ने दोनों संस्थाओं को नोटिस जारी करते हुए अगली शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।
जिन प्रश्नों पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया:
- प्रश्न 56: यह पर्यावरण से संबंधित था। उत्तर कुंजी में केवल राज्य को पर्यावरण की रक्षा का दायित्व दिया गया था, जो कि गलत है। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों का भी कर्तव्य है। इसलिए विकल्प (c) को भी सही मानते हुए उसे अंक देने का निर्देश दिया गया। (c) और (d) को अंक मिलेंगे, (a) और (b) पर नकारात्मक अंक।
- प्रश्न 77: नाबालिग के साथ अनुबंध से संबंधित। हाईकोर्ट ने इसे हटाने का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दिए गए पैसेज से सामान्य समझ का प्रयोग कर छात्र सही उत्तर (b) तक पहुंच सकता है।
- प्रश्न 78: अवैध अनुबंधों से संबंधित। कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस राय से सहमति जताई कि घूस देकर सरकारी नौकरी पाना अनुबंध को अमान्य बनाता है, और उत्तर (c) सही है।
- प्रश्न 85 और 88: चूंकि 85 पहले ही कॉन्सोर्टियम द्वारा हटाया गया था और दोनों में समानता थी, इसलिए कोर्ट ने 88 को भी हटाने का निर्देश दिया।
- प्रश्न 115 और 116: कोर्ट ने माना कि ये सवाल गणनात्मक रूप से अत्यंत जटिल थे। इसलिए दोनों को हटाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इन प्रश्नों से छात्र भ्रमित हो सकते हैं, जिससे कई छात्रों ने इन्हें छोड़ा होगा।
कोर्ट की व्यापक टिप्पणियां
जस्टिस गवई ने कहा, “क्या आप 16-17 साल के बच्चों से अपेक्षा करते हैं कि वे कैलकुलेटर लेकर आएं? ऐसे कठिन सवाल कैसे पूछे जा सकते हैं?”
उन्होंने यह भी पूछा कि CLAT परीक्षा को NEET और JEE की तरह एक स्थायी संस्था द्वारा क्यों नहीं आयोजित किया जा सकता।
याचिकाकर्ता और वकील
यह मामला सिद्धि संदीप लाडा और आदित्य सिंह द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं से उत्पन्न हुआ। लाडा ने ऑल इंडिया रैंक 22 प्राप्त की थी और दलील दी थी कि सेट A के परीक्षार्थियों को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली, जबकि अन्य सेट में त्रुटियों पर अंक देने का निर्देश दिया गया।
सीनियर एडवोकेट के. के. वेणुगोपाल लाडा की ओर से पेश हुए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन, बलबीर सिंह व अन्य भी पेश हुए।
पृष्ठभूमि
1 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई CLAT-UG परीक्षा में कई प्रश्नों को लेकर विवाद हुआ। इसके चलते विभिन्न हाईकोर्टों में याचिकाएं दायर हुईं, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दो सवालों को गलत मानते हुए संशोधन का आदेश दिया था, लेकिन कॉन्सोर्टियम ने उस आदेश के विरुद्ध डिवीजन बेंच में अपील की। 23 अप्रैल 2025 को चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने निर्णय दिया था।