मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने शुक्रवार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि उनकी अदालत का सबसे बड़ा उद्देश्य उन लोगों को न्याय देना है जिनके पास संसाधन कम हैं और जो अदालतों के चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वे “आधी रात तक” भी अदालत में बैठने को तैयार हैं, बशर्ते इससे गरीब मुकदमादारों को राहत मिल सके।
CJI सूर्यकांत, जो न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची के साथ पीठ पर बैठे हुए थे, केंद्र और अन्य के खिलाफ तिलक सिंह डांगी द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते समय यह टिप्पणी कर रहे थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कीमती समय तथाकथित “लक्जरी लिटिगेशन” पर खर्च नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, “मेरी अदालत में लक्जरी लिटिगेशन नहीं चलेगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे मुकदमे आमतौर पर संपन्न पक्षकारों द्वारा दायर किए जाते हैं।
गरीब और कमजोर वर्ग के न्याय तक पहुंच को सर्वोपरि बताते हुए CJI ने कहा, “मैं आपको बता दूं… मैं यहां आख़िरी कतार में बैठे सबसे छोटे… सबसे गरीब मुकदमादार के लिए हूं। ज़रूरत पड़ी तो मैं उनके लिए आधी रात तक बैठूंगा।”
हिसार (हरियाणा) के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। वे लगभग 15 महीनों तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त होंगे।
उनके ये शुरुआती संदेश साफ करते हैं कि उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता वही होगी जिसके लिए यह संस्था बनी है—कमज़ोर, हाशिये पर खड़े और साधनहीन लोगों की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना।




