दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स — जिन्हें अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में कथित बिचौलिया बताया गया है — की याचिका पर नोटिस जारी किया। यह याचिका ट्रायल कोर्ट द्वारा जेल से रिहाई की मांग खारिज किए जाने के आदेश के खिलाफ दायर की गई है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने ईडी, सीबीआई और केंद्रीय गृह मंत्रालय को याचिका की स्वीकार्यता और मेरिट दोनों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
मिशेल ने हाईकोर्ट में दावा किया है कि उन्होंने इस मामले में अधिकतम सात साल की सज़ा पूरी कर ली है और अब उन्हें जेल में रखना गैरकानूनी है। याचिका में कहा गया है कि वह भारत में पांच साल जेल में रह चुके हैं और प्रत्यर्पण से पहले भी पांच साल तक हिरासत में रहे थे। उनके अनुसार, 4 दिसंबर तक वे बिना पैरोल या remission के सात वर्ष की कैद पूरी कर लेंगे। यह याचिका अधिवक्ता अल्जियो के जोसेफ ने दायर की है।
ट्रायल कोर्ट ने 7 अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि मिशेल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 467 (फर्जी दस्तावेज़/जालसाजी) भी शामिल है, जिसकी अधिकतम सज़ा आजीवन कारावास तक है। इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि उन्होंने अधिकतम दंड अवधि पूरी कर ली है।
ट्रायल कोर्ट ने 2023 के एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि मिशेल का प्रत्यर्पण केवल धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश ही नहीं, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी हुआ था। अदालत ने माना कि जुड़े हुए अपराधों पर भी अभियोजन चलाना doctrine of speciality का उल्लंघन नहीं है — न ही यूएई-भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 17 का, और न ही प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 की धारा 21 का।
मिशेल की याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश ने अवैध रूप से संधि के अनुच्छेद 17 को धारा 21 (Extradition Act) पर तरजीह दी। याचिका में यह भी कहा गया कि 2017 में सीबीआई द्वारा प्रारंभिक आरोपपत्र में केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8, 9 और 12 लगाई गई थीं, जिनकी अधिकतम सज़ा उस समय पांच वर्ष थी। बाद में supplementary charge sheets के माध्यम से संधि का हवाला देते हुए धारा 467 IPC जोड़ी गई, जिसके चलते उनकी हिरासत जारी है।
मिशेल को दिसंबर 2018 में यूएई से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फरवरी 2024 में सीबीआई केस में जमानत दी और 4 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी केस में जमानत दी। हालांकि वे अब भी जेल में हैं क्योंकि वे जमानत की शर्त के तहत अपना पासपोर्ट जमा कराने में विफल रहे।
सीबीआई का आरोप है कि 2004 में वरिष्ठ अधिकारियों ने अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में शर्तें बदलते हुए हेलिकॉप्टरों की सर्विस सीलिंग में बदलाव किया, जिससे ₹3,726.9 करोड़ के सौदे में सरकार को लगभग ₹2,666 करोड़ का नुकसान हुआ। ईडी कथित रिश्वत और मनी ट्रेल की जांच कर रही है।
अब हाईकोर्ट यह तय करेगा कि प्रत्यर्पण की शर्तों और सज़ा की अधिकतम सीमा के मद्देनज़र मिशेल की निरंतर कैद विधिसंगत है या नहीं। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।




