छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने करंट से दो बच्चों की मौत पर स्वतः संज्ञान लिया; राज्य सरकार से रोकथाम की रोडमैप और मुआवज़े की जानकारी मांगी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोंडागांव और पेंड्रा ज़िलों में करंट लगने से दो बच्चों की मौत की खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका (WPPIL No. 84 of 2025) दर्ज की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें रोकथाम के उपायों और मृतक बच्चों के परिजनों को दी गई मुआवज़े की जानकारी होनी चाहिए।

मामले की पृष्ठभूमि

यह कार्यवाही द हितवाद अखबार के 13 सितम्बर 2025 को प्रकाशित समाचारों से शुरू हुई, जिनकी सुर्खियाँ थीं — “आंगनबाड़ी केंद्र में करंट लगने से बच्चे की मौत” और “करंट लगने से बच्चे की मौत”

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पहली घटना कोंडागांव ज़िले की है, जहाँ ढाई वर्षीय बच्ची महेश्वरी यादव की मौत आंगनबाड़ी केंद्र में खुले तार के संपर्क में आने से हो गई। समाचार रिपोर्टों में उल्लेख है कि केंद्र में खुले तार, खराब स्विच और असुरक्षित फिटिंग को लेकर बार-बार शिकायतें की गई थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। घटना के बाद ज़िला कलेक्टर ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को सेवा से बर्खास्त कर दिया, जबकि मारदपाल-2 सेक्टर की पर्यवेक्षिका को निलंबित कर दिया गया।

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दूसरी घटना पेंड्रा ज़िले के मरवाही थाना क्षेत्र के कर्गिकला गाँव की है। यहाँ छह वर्षीय बच्चा खेत में बने बाड़ के पास खेलते समय करंट की चपेट में आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। खेत मालिक ने फसल को मवेशियों से बचाने के लिए अवैध रूप से सीधे करंट की सप्लाई बाड़ में जोड़ रखी थी। इस मामले में मरवाही पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 के तहत ग़ैर-इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज किया है और जाँच शुरू कर दी गई है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

पीठ ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों के लिए बने हैं और अभिभावक उन्हें इस भरोसे के साथ वहाँ छोड़ते हैं कि कार्यकर्ता व सहायिका उनकी देखभाल करेंगे। कोर्ट ने अवैध विद्युतीकृत बाड़बंदी की गंभीरता पर चिंता जताते हुए कहा:

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“यह बार-बार रिपोर्ट किया जा रहा है कि फसल बचाने के लिए खेतों की बाड़ में सीधे करंट जोड़े जा रहे हैं, जिससे मानव जीवन दुर्घटनावश समाप्त हो रहा है। बाड़ के आसपास कोई चेतावनी चिन्ह भी नहीं लगाए जाते कि उसमें उच्च वोल्टेज करंट प्रवाहित है।”

अदालत ने चेताया कि बारिश के मौसम में ऐसे क्षेत्र जलमग्न होने पर बिना छुए भी करंट लग सकता है। जंगली जानवरों और मवेशियों के करंट से मरने की घटनाओं तथा तालाबों में अवैध तरीक़े से करंट डालकर मछली पकड़ने की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया।

न्यायालय का निर्देश

अदालत ने माना कि प्रशासनिक स्तर पर तत्काल कार्रवाई जैसे बर्खास्तगी, निलंबन और एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन व्यापक रोकथाम के उपाय ज़रूरी हैं। खंडपीठ ने निर्देश दिया:

“राज्य को एक ऐसा रोडमैप प्रस्तुत करना होगा कि किस प्रकार मानव, पशु या जंगली जीवों की जान करंट से न जाए, चाहे वह किसी शासकीय भवन/परिसर में हो या कृषि भूमि पर।”

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मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल करने के लिए कहा गया है, जिसमें —

  • भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के उपाय, और
  • मृतक बच्चों के परिवारों को दी गई मुआवज़े की जानकारी शामिल हो।

मामले की अगली सुनवाई 22 सितम्बर 2025 को होगी।

प्रकरण विवरण

  • प्रकरण शीर्षक: समाचार के आधार पर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका (करंट से बच्चों की मौत)
  • प्रकरण संख्या: WPPIL No. 84 of 2025
  • पीठ: मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु

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