तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज ने दिल्ली हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा केंद्र सरकार के सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के आदेश को बरकरार रखने के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच का रुख किया है।
7 जुलाई को न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने सेलेबी की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें 15 मई को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) द्वारा दी गई सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और भूराजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।
अदालत ने BCAS के फैसले को उचित ठहराते हुए कहा कि यह कदम संभावित जासूसी, सेलेबी की लॉजिस्टिक क्षमताओं के दुरुपयोग और नागरिक उड्डयन अवसंरचना पर खतरे को रोकने के लिए आवश्यक था। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो, तो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना अनिवार्य नहीं है।

न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सेलेबी को नागरिक उड्डयन के अति संवेदनशील क्षेत्रों—जैसे एयरसाइड संचालन, विमान, कार्गो और यात्री प्रणालियों—तक असीमित पहुंच प्राप्त थी, और यदि इन क्षेत्रों से समझौता होता है तो इसके गंभीर राष्ट्रीय परिणाम हो सकते हैं।
सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी उस समय रद्द की गई थी जब भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ रहा था। विशेष रूप से अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन चिंता का विषय बना।
सेलेबी की नई अपील में तर्क दिया गया है कि BCAS का फैसला नागरिक उड्डयन सुरक्षा नियमों की धारा 12 का उल्लंघन है, जो स्पष्ट रूप से कहती है कि सुरक्षा मंजूरी रद्द करने से पहले संबंधित पक्ष को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। कंपनी ने कहा कि उसे बिना किसी सुनवाई के मंजूरी रद्द कर दी गई और केवल “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हवाला देकर फैसला लेना “अस्पष्ट” और “कानून के तहत अस्थिर” है।
सेलेबी ने यह भी आपत्ति जताई कि केंद्र सरकार ने अदालत में “सील बंद लिफाफे” में खुफिया जानकारी प्रस्तुत की, लेकिन उसे इस जानकारी से अवगत नहीं कराया गया — जो कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
केंद्र सरकार ने पहले अदालत में दलील दी थी कि यदि कंपनी को कारण बताए जाते या सुनवाई दी जाती तो इससे सुरक्षा उपायों की गोपनीयता भंग होती और प्रक्रिया में देरी होती। हालांकि सरकार ने यह भी कहा था कि सुरक्षा मंजूरी रद्द करने से एक दिन पहले सेलेबी द्वारा प्रस्तुत एक पत्र को ध्यान में रखकर निर्णय लिया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर करने से कुछ दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) को सेलेबी की सहायक कंपनी के स्थान पर ग्राउंड और ब्रिज हैंडलिंग सेवाओं के लिए नई बोली प्रक्रिया पूरी करने से रोकने वाला अपना पूर्ववर्ती आदेश वापस ले लिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सेलेबी पहले ही वहां अपनी कानूनी चुनौती हार चुकी है, इसलिए MIAL को प्रक्रिया आगे बढ़ाने से रोकने का कोई आधार नहीं बचा।
सेलेबी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का डिवीजन बेंच अगला सप्ताह सुनवाई कर सकता है।