राज्यसभा में गुरुवार को न्यायपालिका से जुड़ी गंभीर चिंताओं को लेकर तीखी बहस देखने को मिली, जब 55 सांसदों ने एक प्रतिनिधित्व सौंपा। यह प्रतिनिधित्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज की विवादास्पद टिप्पणियों और दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों से संबंधित था।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस विषय पर जोरदार हस्तक्षेप करते हुए कहा, “दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है।” इस टिप्पणी ने पूरे मामले को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार किया। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस मामले पर सदन के नेता और विपक्ष के नेता दोनों से चर्चा करेंगे, ताकि आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सके।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज से जुड़ी शिकायत को लेकर उपराष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने पहले ही हस्ताक्षरकर्ताओं को ईमेल भेजकर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, “सिर्फ एक सदस्य ने अपने हस्ताक्षर से इनकार किया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “यदि यह संख्या 50 से अधिक पाई जाती है, तो मैं अपनी ओर से किसी भी प्रकार की देरी नहीं करूंगा।”
इस घटना ने न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। कई सांसदों ने जजों और उनके आचरण पर अधिक निगरानी की मांग की है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में यह मामला संसद और जनचर्चा में प्रमुखता से बना रहेगा।