कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को कोलकाता स्थित आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच से जुड़े कुछ अहम सवाल पूछे। यह मामला अगस्त 2024 में सामने आया था, जिसने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया था। न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष की एकल पीठ पीड़िता के माता-पिता द्वारा दायर एक नई जांच की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने CBI से स्पष्ट रूप से यह जवाब मांगा कि क्या दर्ज आरोप यह संकेत देते हैं कि यह किसी एक आरोपी द्वारा किया गया अपराध है या इसमें एक से अधिक आरोपी शामिल थे — यानी क्या यह सामूहिक बलात्कार का मामला है? इसके साथ ही, न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या CBI ने भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 70 लागू करने पर विचार किया था, जो कि बहु-आरोपी मामलों से संबंधित है।
पहली चार्जशीट दाखिल किए जाने के बावजूद कोर्ट ने आगे की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया और CBI से दूसरी चार्जशीट की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह केवल केस डायरी देखेगा, न कि कोई औपचारिक रिपोर्ट।

यह संवेदनशील मामला तब शुरू हुआ जब 31 वर्षीय डॉक्टर की अस्पताल परिसर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया था और कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को इस्तीफा देना पड़ा था। अगस्त 2024 में हाईकोर्ट ने सबूतों से छेड़छाड़ और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के चलते यह मामला CBI को सौंप दिया था।
सितंबर 2024 में डॉ. घोष को CBI ने गिरफ्तार किया था, लेकिन चार्जशीट समय पर दाखिल न कर पाने के कारण उन्हें दिसंबर में जमानत मिल गई।
इस साल की शुरुआत में ट्रायल कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी संजय रॉय को बलात्कार और हत्या का दोषी करार दिया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। 57 दिनों तक चली इस कैमरा ट्रायल में रॉय, जो कि कोलकाता पुलिस का सिविक वॉलंटियर था, को दोषी ठहराया गया। उसे घटना के एक दिन बाद, 10 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद राज्य सरकार ने रॉय को मृत्युदंड देने के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया क्योंकि इस केस की जांच और अभियोजन CBI द्वारा किया गया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी अपील केवल CBI ही दायर कर सकती है।