कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम मिदनापुर जिले के खेजुरी में मेले के दौरान दो लोगों की संदिग्ध मौत के मामले में दूसरी बार पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया है। परिजनों ने पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि दोनों की मौत बिजली का खंभा गिरने से नहीं, बल्कि हत्या के कारण हुई।
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति प्रसेंजीत बिस्वास की खंडपीठ ने कहा कि दूसरी पोस्टमार्टम “अपीलकर्ताओं द्वारा उठाई गई शंकाओं को दूर करेगी” और जांच में मदद करेगी। अदालत ने निर्देश दिया कि यह पोस्टमार्टम कोलकाता स्थित राज्य संचालित एसएसकेएम अस्पताल में “उचित टीम” द्वारा किया जाए, जिसे अस्पताल अधीक्षक गठित करेंगे। यह प्रक्रिया क्षेत्राधिकार न्यायिक मजिस्ट्रेट की निगरानी में होगी।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि दूसरी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए और पूर्व मिदनापुर के पुलिस अधीक्षक को सौंपी जाए, ताकि इसे जांच में इस्तेमाल किया जा सके।

मामला 12 जुलाई का है, जब एक 60 वर्षीय व्यक्ति और एक 23 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी। पुलिस ने प्रारंभ में इसे अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया था, लेकिन परिजनों की हत्या की शिकायत के बाद दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव पर मौजूद कई गंभीर चोटों का उल्लेख ही नहीं किया गया, जबकि इन चोटों के स्पष्ट प्रमाण के रूप में उन्होंने अदालत में तस्वीरें प्रस्तुत कीं। उनके वकीलों का तर्क था कि इन चूक के कारण रिपोर्ट पर संदेह पैदा होता है और सच्चाई सामने लाने के लिए दूसरी पोस्टमार्टम जरूरी है।
राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने इस याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि यदि इस तरह के अनुरोध स्वीकार किए जाने लगे तो यह “खतरनाक मिसाल” बन जाएगी। उन्होंने कहा कि हत्या के आरोपों की पुलिस जांच अभी जारी है।
हालांकि, खंडपीठ ने माना कि ऑटोप्सी सर्जन द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 180 के तहत दी गई व्याख्या उस समय का उनका निर्णय था, लेकिन चूंकि शव अब भी संरक्षित हैं, “दूसरा मत प्राप्त किया जा सकता है”। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे पहली रिपोर्ट या अब तक हुई जांच की गुणवत्ता पर कोई टिप्पणी नहीं की जा रही।