कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि डॉक्टर अनीकेत महतो को, जो आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में पीजी ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के विरोध आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं, तत्काल उसी संस्थान के एनेस्थीसियोलॉजी विभाग में सीनियर रेज़िडेंट के रूप में नियुक्त किया जाए।
न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने राज्य सरकार के उस निर्णय को “अयुक्तिसंगत” और “गंभीर त्रुटि” बताया, जिसके तहत महतो को उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भेजा गया था। अदालत ने 27 मई, 2025 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया और आदेश दिया कि महतो को तुरंत आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में नियुक्त किया जाए।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि आदेश पर 7 अक्टूबर तक रोक लगाई जाए ताकि अपील दायर की जा सके। हालांकि, न्यायमूर्ति बसु ने यह आग्रह अस्वीकार कर दिया और महतो की तत्काल नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया।

महतो की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि उन्हें और दो अन्य डॉक्टरों को, जो आर.जी. कर आंदोलन में सक्रिय थे, पुलिस उत्पीड़न और विभागीय प्रतिशोध का सामना करना पड़ा।
याचिकाकर्ता के अनुसार, राज्य सरकार ने सीनियर रेज़िडेंट की नियुक्ति के लिए बनाए गए मेरिट-आधारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उल्लंघन किया। कुल 871 डॉक्टरों की सूची में से सिर्फ इन तीनों को उनकी पसंद से दूर अस्पतालों में भेजा गया, जिसे “सज़ा स्वरूप पोस्टिंग” बताया गया।
महतो ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसियोलॉजी विभाग की चार रिक्तियों में से एक के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग ने उनसे कम मेरिट वाले उम्मीदवार को चुना, वकील ने आरोप लगाया।
9 अगस्त, 2024 को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की एक महिला पीजी ट्रेनी डॉक्टर का शव सेमिनार कक्ष में मिला था। उसके साथ बलात्कार कर उसकी हत्या की गई थी, जिसके बाद देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन हुए।
इस वर्ष की शुरुआत में सीलदह सत्र न्यायालय ने दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास (प्राकृतिक जीवन के अंत तक) की सज़ा सुनाई थी।
महतो की आर.जी. कर में नियुक्ति बहाल करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि प्रशासनिक निर्णय निष्पक्ष होने चाहिए और आंदोलन या विरोध में शामिल डॉक्टरों को प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।